बिहार निकाय चुनाव पुराने आरक्षण के तहत ही होगा? सीएम नीतीश कुमार ने बताया सरकार के दावे में कितना दम…

बिहार निकाय चुनाव पर रोक के बाद अतिपिछड़ों के आरक्षण मामले पर विवाद छिड़ गया है. हाइकोर्ट के फैसले को सरकार सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेगी. वहीं सीएम नीतीश कुमार ने इस विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है. जानिये क्या कहा...

By Prabhat Khabar Print Desk | October 8, 2022 2:09 PM

Bihar Nikay Chunav: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नगर निकाय चुनाव पर रोक लगने के बाद अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सीएम ने भाजपा पर पलटवार किया है और बीजेपी के लगाए आरोपों को बेबुनियाद बताया. मुख्यमंत्री ने ये दावा किया है कि आरक्षण को लेकर बिहार सरकार ने जो कदम उठाया था और सीटों को आरक्षित करने का सुझाव निर्वाचन आयोग को भेजा गया था वो अवैध नहीं था.

सर्वसम्मति से इबीसी के लिए राय बनी

नीतीश कुमार ने कहा कि जब सरकार 2005 में बनी तो सीट आरक्षित करने के मामले में सर्वसम्मति से इबीसी के लिए राय बनी. बीजेपी भी उस समय भी साथ ही थी. अब भाजपा के लोग भूल तो नहीं गये. उसके बाद पंचायत चुनाव भी इसी तर्ज पर हुआ और 2007 में इसे नगर निकाय में भी लागू किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे फैसले के खिलाफ लोग चैलेंज करने हाईकोर्ट गये लेकिन वहां से खारिज हो गया. सुप्रीम कोर्ट तक गये थे लेकिन वहां से भी रिजेक्ट हुआ था.

1978 में ही हुआ तय

नीतीश कुमार ने कहा कि चार बार पंचायत चुनाव और तीन बार नगर निकाय का चुनाव भी इसी तर्ज पर हुआ. कहा कि बिहार में ओबीसी और इबीसी की बात आज की नहीं है ये 1978 की बात है जब कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री थे. यहां पहले से ही लागू है. अब बिहार में किसी चीज की जरुरत नहीं है.

Also Read: जदयू का विलय कांग्रेस में कराना चाहते थे प्रशांत किशोर, सीएम नीतीश कुमार ने PK को लेकर किये बड़े खुलासे
भाजपा पर सीएम का निशाना

भाजपा ऐसे आरोप लगाते हैं आश्चर्य होता है जबकि मैं पूछता हूं कि तब मंत्री कौन थे. ये विभाग तो उनके पास ही रहा है. उन्होंने कहा ये 1978 का किया हुआ है. हमलोग इसपर फिर से अदालत जाएंगे कि इसे देखा जाए ये पहले से ही चलता आ रहा है.

सुशील मोदी पर ललन सिंह का हमला

नीतीश कुमार ने कहा कि 1978 में ये बना. 2006 में इसे हम सबने आकर लागू किया जो पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव भी इसके तहत होता रहा. बता दें कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी इस मामले पर कहा है कि 2006 में पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग को जिस आधार पर आरक्षण दिया गया उस वक्त नगर विकास विभाग के मंत्री सुशील मोदी ही थे. गौरतलब है कि आरक्षण विवाद को लेकर हाइकोर्ट के आदेश आने के बाद निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया है.

Published By: Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version