सरकारी तंत्र हुए फेल तो किसानों ने खुद निकाला रास्ता, सैकड़ों एकड़ में लगे गन्ना फसल को बर्बाद होने से बचाया

सरकारी तंत्र फेल होने के कारण किसानों ने गन्ना की फसल को बचाने के लिए आर्थिक सहयोग देकर जेसीबी से जल निकास पइन (नाला) को खुदवाया. पइन के माध्यम से सैकड़ों एकड़ में किसानों की लगे गन्ने की फसल की सुरक्षा होती थी. कई बार ग्रामीणों ने उस पइन के सफाई के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर मुखिया पंचायत समिति तक आवेदन दिया. परंतु बरसों बीत जाने के बाद भी काम नहीं हुआ. यादवपुर पंचायत के दुधही गांव के दर्जनों किसानों ने बैठक कर निर्णय लिया कि पइन का जीर्णोद्वार होना जरूरी है.

By Prabhat Khabar | June 1, 2021 12:35 PM

पूर्वी चंपारण के हरसिद्धि में सरकारी तंत्र फेल होने के कारण किसानों ने गन्ना की फसल को बचाने के लिए आर्थिक सहयोग देकर जेसीबी से जल निकास पइन (नाला) को खुदवाया. पइन के माध्यम से सैकड़ों एकड़ में किसानों की लगे गन्ने की फसल की सुरक्षा होती थी. कई बार ग्रामीणों ने उस पइन के सफाई के लिए प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर मुखिया पंचायत समिति तक आवेदन दिया. परंतु बरसों बीत जाने के बाद भी काम नहीं हुआ. यादवपुर पंचायत के दुधही गांव के दर्जनों किसानों ने बैठक कर निर्णय लिया कि पइन का जीर्णोद्वार होना जरूरी है.

चक्रवाती तूफान एवं वर्षा के कारण 2 से 3 फीट तक की पानी गन्ने के खेतों में लग चुकी थी. जिससे किसान काफी परेशान थे. गन्ना की फसल को कैसे बचाया जाए. सभी किसानों के बीच यह चिंता का विषय बन गया था. करोड़ों रुपए की आमदनी ईख की फसल से ही होती है. लेकिन जलजमाव के कारण गन्ना के ऊपरी हिस्से तक पानी पहुंच चुका था. अभी गन्ना की फसल कम समय में अच्छे पैदावार दिख रहा था. लेकिन पानी के कारण डूब चुका था.

किसानों के अथक प्रयास से जेसीबी से लगभग 500 मीटर की पइन की दूरी को जेसीबी से कटवा कर जल निकास बनाया गया. जैसे ही पानी धनौती नदी में गिरना शुरू हुआ तो किसानों के चेहरे पर खुशी आई. किसानों ने उम्मीद जताई कि अब हम लोगों का गन्ना की फसल बच सकती है. दुधही गांव निवासी किसान अवधेश प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद, हरेन्द्र प्रसाद, अजय कुमार, अनिल कुमार, मुकेश कुमार, प्रभु प्रसाद आदि लोगों ने आगे आकर आर्थिक सहयोग देकर लगभग 10 घंटे से ऊपर जेसीबी चला और उस पइन के निकास को साफ कराया गया.

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उक्त पइन के निकास के साफ होने से किसानों के सैकड़ों एकड़ की गन्ने बर्बाद होने से बच जाएंगे. जैसे ही पानी धनौती नदी में गिरने लगा तो किसानों के चेहरे पर चमक दिखने लगी. बरसों पहले पइन की सरकारी डाक होती थी. जहां पर मछुआरे डाक लेकर मछली मारते थे. उस समय यह निकास गहरी थी. जिससे पानी धनौती नदी में जाती थी. लेकिन धीरे-धीरे लोगों के द्वारा उस पइन के अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया. पइन सिर्फ एक नाला बन कर सीमित हो गई थी. जबकि वह पइन सरकारी है जिसकी अपनी भूमि है. यहां के किसानों को गन्ना लगानी होती है तो नदी निचले क्षेत्र में गन्ना लगती है. पूर्वी चंपारण के हरसिद्धि में किसानों ने खुद गन्ना की फसल को बचाया तथा Hindi News से अपडेट के लिए बने रहें।

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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