Buxar News: जीवन में जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है : भारती दीदी
जब भी इस भू-खण्ड पर पाप बढ़ा तथा अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए परमात्मा इस धरती पर अवतार लेकर पापियों का नाश करते धर्म की रक्षा करते हैं.
चौसा. जब भी इस भू-खण्ड पर पाप बढ़ा तथा अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए परमात्मा इस धरती पर अवतार लेकर पापियों का नाश करते धर्म की रक्षा करते हैं. भगवान कृष्ण के अवतार का भी यही उद्देश्य था. भगवान कृष्ण ने विपरीत परिस्थितियों में जेल में जन्म लिया. माता देवकी व पिता वासुदेव जेल में बंद थे. जेल में कुछ भी नहीं दिखाई देता है. वहां जन्म लेने वाले का भविष्य क्या होगा, परंतु भगवान कृष्ण जेल में जन्म लेने के बाद भी सबसे ऊंची जगह पर पहुंच गए, भगवान कृष्ण प्रत्येक परिस्थिति में सम रहते हैं. बाहर के व्यक्ति वस्तु और परिस्थिति उनके अंतर्मन को प्रभावित नहीं कर पाती है. सुखः दुःख न तन में है ना भवन में है. कृष्ण के जीवन में कहीं ठहराव नहीं है. परंतु भीतर से ठहरे हुए हैं. उक्त बातें राष्ट्रीय अध्यक्ष यमुना रक्षक दल, राधा मोहन जी गौशाला एवं यमुना सेवा धाम ट्रस्ट वृन्दावन के संचालक संत जयकृष्ण दास जी महराज के पावन सानिध्य में धर्म प्रचार प्रसार हेतु चौसा के कठतर में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में वृन्दावन धाम से पधारी कथा व्यास साध्वी सुश्री भारती दीदी ने कथा के चौथे दिवस श्रोताओं को अपनी अमृतवाणी के द्वारा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा को श्रवण कराते हुऐ कही. और बताया की ऋण जी के जीवन में बहुत कठिनाई आयी. लेकिन उन्होनें हार नहीं मानी. इसलिए प्रत्येक मनुष्य को यह सीखना चाहिए की ईश्वर हमें जिस परिस्थिति में रखे, हमें उसीमें प्रसन्न रहना चाहिए, जो प्राप्त है वह पर्याप्त है. इसी क्रम में प्राचीन वहिंनारद संवाद, पुरजनों पख्यान, प्रियव्रत-ऋषभदेव जी, मस्त उपाख्यान, जड़भरत जी की प्रसंग की चर्चा कराते हुए, बताया कि जीवन कभी किसी ब्राह्मण या संत को सरल में कभी समझकर उनका अपमान नहीं करना चाहिए.
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