buxar news : नाले में बदली काव नदी, अस्तित्व पर छाया संकट
buxar news : काव नदी से सैकड़ों गांवों के खेतों को मिलता था पानी, फसलों के लिए थी संजीवनी, कई स्थानों पर सूख चुकी है नदी, तल में बनाये जा रहे घर
डुमरांव (बक्सर). जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत सरकार जल संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट नजर आ रही है.
बक्सर जिले के डुमरांव क्षेत्र से बहने वाली ऐतिहासिक काव नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. अतिक्रमण और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यह कभी किसानों के लिए संजीवनी साबित होने वाली नदी अब नाले में तब्दील हो चुकी है. यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह नदी पूरी तरह समाप्त हो सकती है. कभी काव नदी किसानों की सिंचाई का मुख्य साधन हुआ करती थी. इस नदी का पानी आसपास के सैकड़ों गांवों के खेतों तक पहुंचता था और उन्हें उपजाऊ बनाता था. लेकिन बीते कुछ वर्षों में अतिक्रमण और कचरे के कारण इसकी चौड़ाई लगातार घटती जा रही है. नदी पर बना पुल लगभग 70 फुट चौड़ा है, लेकिन वर्तमान में पानी का बहाव महज सात फुट में सीमित रह गया है. कई स्थानों पर तो नदी लगभग सूख चुकी है और लोग इसके तल में घर बनाकर कब्जा कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में यह नदी पूरी तरह से समाप्त हो जायेगी. बारिश के मौसम में भी इसमें जलभराव नहीं हो पाता, जिससे जल संचयन की समस्या उत्पन्न हो रही है.जनप्रतिनिधि नहीं कर रहे पहल, अधिकारियों को चिंता नहीं :
स्थानीय निवासी मनोज कुमार, शशि कुमार, महेंद्र राम और विशोकानंद चंद ने बताया कि काव नदी का ऐतिहासिक महत्व भी है. यह नदी सैकड़ों गांवों से होकर बहती थी और क्षेत्र के किसानों के लिए जीवनरेखा थी, पहले इसमें सालभर पानी बहता था, लेकिन अब इसका जलस्तर काफी नीचे चला गया है. स्थानीय विधायक डॉ अजीत कुमार सिंह ने विधानसभा में काव नदी का मामला जरूर उठाया. लेकिन ठोस पहल आज तक नहीं हो सका. लोगों ने आरोप लगाया कि अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने इसके संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. कई बार प्रशासन से शिकायत की गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. यदि सरकार इस पर ध्यान दे, तो इसे एक सुंदर पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकता है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकता है.पर्यावरण व पर्यटन के लिए उपयोगी हो सकती है काव नदी :
पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर इस नदी को अतिक्रमण से मुक्त कर इसे पुनर्जीवित किया जाये, तो यह न केवल किसानों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि इससे भूजल स्तर भी बढ़ेगा. इससे क्षेत्र के जल संकट का समाधान हो सकता है. साथ ही, सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित कर सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत इस पर विशेष अभियान चलाया जाये, तो यह नदी एक बार फिर जीवनदायिनी साबित हो सकती है. नदी के किनारों पर पौधारोपण, सफाई अभियान और जल संरक्षण के उपाय अपनाकर इसे फिर से जीवंत किया जा सकता है.नदी को पुनर्जीवित करने के लिए चले
अभियान :
स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष अभियान चलाएं. अतिक्रमण हटाने, नदी की सफाई और इसके गहरी करण की जरूरत है. यदि जल्द से जल्द इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह नदी पूरी तरह समाप्त हो सकती है. सरकार जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने की बात कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर डुमरांव की काव नदी जैसी कई नदियां विलुप्त होने की कगार पर हैं. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे इस ओर ध्यान दें और आवश्यक कदम उठाएं, ताकि काव नदी फिर से अपनी पुरानी पहचान पा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
