buxar news : चार मजदूर कर रहे काम, पर नौ का हो रहा भुगतान
buxar news : शहर के कई वार्डों में तीन से चार मजदूर ही कर रहे साफ-सफाई, प्रतिमाह 75 लाख की जगह अब 1.16 करोड़ रुपये सफाई पर हो रहा खर्च
बक्सर. स्वच्छ और सुंदर बक्सर शहर बनाने को लेकर सफाई के नाम पर अब हर माह एक करोड़ 16 लाख रुपये खर्च किया जा रहा है, जबकि दो माह पहले तक हर माह यह खर्च राशि 75 लाख रुपये था़.
सफाई के नाम पर अधिकांश वार्ड में तीन से चार सफाई मजदूर ही काम करते हैं. मगर वेतन भुगतान सात से लेकर नौ मजदूरों का होता है. नगर थाने से लेकर स्टेशन तक मुख्य सड़क की साफ-सफाई करने वाले राजू कुमार कहते हैं कि प्रतिदिन तीन मजदूर काम करते हैं. मगर वेतन भुगतान सात से नौ मजदूरों का किया जाता है. वार्ड नंबर 13 में सफाई करने वाले जितेंद्र राम कहते हैं कि प्रतिदिन तीन से चार मजदूर ही काम करते हैं. मगर वेतन भुगतान सात मजदूरों का किया जाता है. वार्ड नंबर 18 में सफाई का काम करने वाले संतोष कुमार ने कहा कि प्रतिदिन पांच सफाई मजदूर ही काम करते हैं. मगर वेतन भुगतान सात मजदूरों का किया जाता है. यह हाल शहर के अधिकांश वार्डों में है. मगर नगर परिषद के अधिकारी इसका भौतिक सत्यापन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं. वहीं वार्डों के चुने हुए वार्ड पार्षद भी इसका उचित जवाब नहीं दे पाते हैं.बायोमेट्रिक हाजिरी के लिए लगायी गयीं दो मशीन :
शहर के वार्डों में प्रतिनिधि काम करने वाले सफाई मजदूरों की बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने के लिए एक पखवारा पूर्व सफाई एजेंसी ने दो बोयोमेट्रिक मशीन नप क्षेत्र के लिए लायी है, जिससे यह संभव नहीं है कि सभी 42 वार्डों में सफाई मजदूरों की बायोमेट्रिक हाजिरी ली जा सके. लिहाजा कुछ मजदूरों की तो बायोमेट्रिक हाजिरी लगायी जा रही है. मगर अब भी अधिकांश मजदूरों की बायोमेट्रिक हाजिरी नहीं लगायी जा रही है.सफाई मजदूरों से कराया जाता है ठेकेदारी का भी काम :
बक्सर शहर के वार्डों में कार्यरत सफाई मजदूरों से किसी किसी वार्ड में तो ठेकेदारी का भी काम कराया जाता है. मसलन जैसे वार्ड में बनने वाली पीसीसी सड़क व नाला निर्माण में उपयोग होने वाले बालू व गिट्टी की ढुलाई का काम भी वार्डों में कचरा उठाने वाले ठेले से कराया जाता है.उठाये
जा रहे कचरे के वजन के अनुसार हो रहा भुगतान :
नगर परिषद के कार्यपालक अभियंता आशुतोष कुमार गुप्ता ने कहा कि वार्डों में साफ-सफाई के नाम पर मजदूरों के वेतन का भुगतान शहर से उठने वाले कचरे के टन के हिसाब से किया जाता है. किस वार्ड वार्ड में कितना टन कचरा उठाया जा रहा है. उसका औसत निकालकर ही सफाई मजदूरों के वेतन का भुगतान किया जाता है. जबकि, शहर से निकलने वाले कचरे का वजन नापने का कोई यंत्र नहीं लगा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
