बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगों के लिए सहारा बन रहा है बिहार सरकार का बुनियाद केंद्र 

Bihar News: बढ़ती उम्र, अकेलापन, बीमारी और आर्थिक असुरक्षा. जब इन सबके बीच जब जिंदगी बोझ लगने लगे, तब सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. बिहार में ऐसे ही लाचार बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए बुनियाद केंद्र उम्मीद की एक मजबूत नींव बनकर उभरा है. 

By Nishant Kumar | December 27, 2025 8:00 PM

Bihar Government Buniyad Centre: बिहार सरकार की ये बुनियाद केंद्र न सिर्फ इलाज की सुविधा देते हैं बल्कि सम्मान के साथ जीने का हक भी सुनिश्चित करते हैं. बिहार के अलग-अलग हिस्सों में कुल 101 बुनियाद केंद्र चलाए जा रहे हैं. जिनमें 38 जिला स्तर पर और 63 अनुमंडल स्तर पर चल रहे हैं. 

लाखों जिंदगियों तक पहुंचा सहारा

बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अनुसार साल 2017 से अब तक 16 लाख 56 हजार 259 लाभुकों को बुनियाद केंद्रों की सेवाओं का लाभ मिल चुका है. इनमें 10 लाख 94 हजार बुजुर्ग, 4 लाख 59 हजार दिव्यांगजन और 1 लाख 2 हजार विधवाएं शामिल हैं. 

आंकड़ों के पीछे कई कहानियां 

इन आंकड़ों के पीछे दर्द, संघर्ष और राहत की अनगिनत कहानियां छिपी हैं जहां किसी को चलने का सहारा मिला, तो किसी को आंखों की रोशनी और किसी को मानसिक संबल. बुनियाद केंद्रों की सबसे बड़ी खासियत है समग्र देखभाल है. 

हर सेंटर पर मौजूद है एक्सपर्ट 

हर सेंटर में फिजियोथेरेपिस्ट,आंख के एक्सपर्ट, साइकोलॉजिस्ट, केयर टेकर, लीगल एडवाइजर, मैनेजर, कंप्यूटर ऑपरेटर, रसोइया और रोजगार प्रशिक्षक जैसे कर्मी तैनात हैं. शोषण या अत्याचार का शिकार हुए वृद्ध, विधवा या दिव्यांगजनों को यहां कानूनी सलाह भी दी जाती है ताकि वे अपने अधिकारों के लिए मजबूती से खड़े हो सकें. 

फिजियोथेरेपी से लौटती है चलने की ताकत

घुटनों का दर्द, कमर की समस्या, चलने या पकड़ने में कठिनाई. ऐसी कई समस्या वृद्ध और दिव्यांगजनों की रोजमर्रा की जिंदगी को सीमित कर देती हैं. बुनियाद केंद्रों में आधुनिक मशीनों से युक्त फिजियोथेरेपी सुविधा उपलब्ध है, जिससे दर्द में राहत और जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो रही है. 

आंखों की रोशनी लौटाने की पहल

50 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए यहां आंख जांच की व्यवस्था है. जरूरत पड़ने पर लाभुकों को मुफ्त चश्मा भी उपलब्ध कराया जाता है, जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी आसान बन सके. 

मानसिक संबल का केंद्र

अकेलापन, तनाव और डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के लिए बुनियाद केंद्रों में साइकोलॉजिस्ट द्वारा काउंसलिंग की जाती है. बातचीत और मार्गदर्शन के जरिए मानसिक बोझ को हल्का करने की कोशिश होती है. 

पेंशन और प्रमाणपत्र में भी मदद

वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन या दिव्यांग प्रमाणपत्र से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए भी बुनियाद केंद्र अहम भूमिका निभा रहे है. स्टाफ द्वारा या तो मौके पर समस्या सुलझाई जाती है या सही प्रक्रिया की जानकारी दी जाती है. 

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सामाजिक सुरक्षा की मजबूत नींव

बुनियाद केंद्र केवल सेवा केंद्र नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए सम्मान और सुरक्षा का भरोसा हैं, जिन्हें समाज अक्सर हाशिए पर छोड़ देता है. ये केंद्र साबित कर रहे हैं कि सही नीति और संवेदनशील सोच से लाखों जिंदगियों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.