नालंदा विश्वविद्यालय में इएएस सम्मेलन आज से, शिक्षा, ऊर्जा संरक्षण और सतत विकास पर होगी वैश्विक विमर्श

नालंदा विश्वविद्यालय आज से तीन दिनों तक अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक महाकुंभ का साक्षी बनेगा.

By AMLESH PRASAD | September 16, 2025 10:09 PM

राजगीर. नालंदा विश्वविद्यालय आज से तीन दिनों तक अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक महाकुंभ का साक्षी बनेगा. बुधवार से आरंभ होने वाले ‘पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन’ (इएएस) शुक्रवार, 19 सितंबर तक चलेगा. इसमें भारत सहित 18 देशों के शीर्ष शिक्षाविद और नीति-निर्माता जुटेंगे. विश्वविद्यालय प्रशासन ने देशी-विदेशी मेहमानों के स्वागत व आवास हेतु विशेष प्रबंध किए हैं. सम्मेलन का मूल उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों को साझा मंच प्रदान करना और ऊर्जा संरक्षण, सतत विकास तथा पर्यावरण संरक्षण पर सहयोग बढ़ाना है. कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण के लिए जीवनशैली विषयक कार्यशाला विशेष आकर्षण का केंद्र होगी. इसमें ऊर्जा दक्षता की नीतियों और व्यावहारिक कार्यक्रमों पर गहन विचार-विमर्श होगा. कंबोडिया, मलेशिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, लाओस, इंडोनेशिया, वियतनाम, भारत और अमेरिका समेत 18 देशों से आए प्रतिनिधि इस वैश्विक विमर्श में अपनी भूमिका निभायेंगे. पत्रकार वार्ता में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. रमेश प्रताप सिंह परिहार, सम्मेलन संयोजक डॉ. किशोर धवला, सह संयोजक डॉ पंकज वशिष्ठ और कम्युनिकेशन डायरेक्टर डॉ. प्रांशु प्रियदर्शी ने संयुक्त जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का आह्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 में लाओस में 19वें ईस्ट एशिया सम्मिट के दौरान किया था. विदेश मंत्रालय, आसियान-इंडिया विश्वविद्यालय नेटवर्क (एआईएनयू), आसियान इंडिया सेंटर एट आरआईएस, आसियान सेंटर फॉर एनर्जी, सीएसडीएस और टेरी के सहयोग से इसे आयोजित किया जा रहा है. इस आयोजन का फोकस शिक्षा जगत में वैश्विक सहयोग, सतत शिक्षा की पहल और पर्यावरण संरक्षण है. भारत सरकार के मिशन लाइफ को बढ़ावा देने हेतु विशेष कार्यशाला रखी गई है, जिसका मकसद जीवनशैली में परिवर्तन और पर्यावरणीय चेतना का विस्तार करना है. तीन दिवसीय कार्यक्रम में आत्मनिर्भर शिक्षा, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), शोध-सहयोग, छात्र-शिक्षक संवाद और ऊर्जा बचत जैसे पहले चर्चा के विषय होंगे. साथ ही यह सम्मेलन प्रतिभागियों को साझा इतिहास, विज्ञान, विचारों और वैश्विक चुनौतियों पर विमर्श का अवसर देगा. कुलपति प्रो सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि यह सम्मेलन न केवल उच्च शिक्षा में सहयोग को नई दिशा देगा, बल्कि मिशन लाइफ की अवधारणा से भी मेल खायेगा. इससे भारत और इएएस देशों के बीच शैक्षणिक संबंध मजबूत होंगे और शोध व अनुभवों के आदान-प्रदान के नए आयाम खुलेंगे. नालंदा विश्वविद्यालय का यह प्रयास शिक्षा, पर्यावरण और सतत विकास की दिशा में वैश्विक सहयोग का सशक्त अध्याय सिद्ध होगा.

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