जिले में अब तक 47.54 फीसदी हुई रबी फसल की बोआई
जिले में रबी सीजन की बोआई लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. कृषि विभाग द्वारा निर्धारित 1,48,221.65 हेक्टेयर के कुल लक्ष्य के मुकाबले, अब तक केवल 70,469.77 हेक्टेयर में ही फसलों की बोआई हो पायी है.
बिहारशरीफ. जिले में रबी सीजन की बोआई लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. कृषि विभाग द्वारा निर्धारित 1,48,221.65 हेक्टेयर के कुल लक्ष्य के मुकाबले, अब तक केवल 70,469.77 हेक्टेयर में ही फसलों की बोआई हो पायी है. यह लक्ष्य का मात्र 47.5 प्रतिशत है, जिससे अगले सीजन में उत्पादन पर विपरीत असर पड़ने की आशंका जतायी जा रही है. पिछली खरीफ फसलों की देरी से कटाई, बीज एवं उर्वरकों की अनुपलब्धता और पटवार की कमी को इस ठहराव का प्रमुख कारण माना जा रहा है. गेहूं जैसी प्रमुख रबी फसल की बुआई भी लक्ष्य के आधे से कम ही हुई है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है. रबी फसलों की बुआई आमतौर पर अक्तूबर–नवंबर में शुरू होती है और कटाई मार्च–अप्रैल के बीच होती है. इन फसलों को ठंडी जलवायु और समय-समय पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है. हालांकि इस बार, बुआई में 20–25 दिन की देरी के बावजूद करीब आधा खेत अभी भी खाली है. किसानों का कहना है कि इसके पीछे पटवार की कमी, बीज और खाद का समय पर न मिलना, और खरीफ फसल की कटाई में देरी जैसी समस्याएं हैं. बभनियावां के किसान अर्जुन प्रसाद ने कहा कि देर से बुआई होने पर फसल की पैदावार प्रभावित होने का खतरा रहता है. अधिक तापमान में फसल का उचित विकास नहीं होता और इसका असर फल-फूल पर साफ दिखता है. किसानों के पास पर्याप्त संसाधन और हर खेत तक की सुविधा नहीं होने के कारण यह स्थिति पैदा हो रही है. कृषि विशेष ज्योति कुमारी के अनुसार, सही समय और उपयुक्त जलवायु में बुवाई होने पर फसल की पैदावार बेहतर होती है. गेहूं 10–20 डिग्री सेल्सियस ठंडी जलवायु में बुवाई करने पर अच्छी पैदावार. चना बुआई के 120–140 दिनों में तैयार, कम पानी और ठंडी जलवायु पसंद करता है. मटर 60–70 दिनों में पकने वाली फसल, जल्दी तैयार होने के लिए ठंडी जलवायु अनुकूल है. जौ अक्तूबर–नवंबर में ठंडी जलवायु में बुवाई के लिए उपयुक्त. सरसों 90–105 दिनों में तैयार होने वाली फसल, ठंडी और शुष्क मौसम में अच्छी. मसूर अक्तूबर–नवंबर में ठंडी जलवायु में उगाई जाए तो पैदावार बेहतर. फसल-वार लक्ष्य और उपलब्धि फसल लक्ष्य (हेक्टेयर) उपलब्धि (हेक्टेयर) प्रतिशत उपलब्धि जौ- 176.35 हेक्टेयर- 38.45 हेक्टेयर- 21.80 प्रतिशत बोरो धान- 24.70 हेक्टेयर- 20.90 हेक्टेयर- 84.62 प्रतिशत चना- 8725.27 हेक्टेयर- 5237.40 हेक्टेयर- 60.03 प्रतिशत मूंगफली- 217.80 हेक्टेयर- 41.06हेक्टेयर- 18.85 प्रतिशत खेसारी- 1249.09 हेक्टेयर- 543.09 हेक्टेयर- 43.48 प्रतिशत मसूर 20378.01 हेक्टेयर 12078.94 हेक्टेयर- 59.27 प्रतिशत मक्का 3335.02 हेक्टेयर 900.55 हेक्टेयर 27.00 प्रतिशत मूंग 193.25 हेक्टेयर 8.02 हेक्टेयर 4.15 प्रतिशत जई 2.50 हेक्टेयर 0.00 हेक्टेयर 0.00 प्रतिशत अन्य दलहन 1731.14 हेक्टेयर 913.76 हेक्टेयर 52.78 प्रतिशत मटर 1455.04 हेक्टेयर 933.55 हेक्टेयर 64.16 प्रतिशत राई व सरसों 8857.93 हेक्टेयर 5749.77 हेक्टेयर 64.91 प्रतिशत राजमा 5.02 हेक्टेयर 0.00 हेक्टेयर 0.00 प्रतिशत गन्ना 24.78 हेक्टेयर 1.44 हेक्टेयर 5.81 प्रतिशत सूरजमुखी 53.99 हेक्टेयर 7.77 हेक्टेयर 14.39 प्रतिशत तीसी 507.53 हेक्टेयर 202.71 हेक्टेयर 39.94 प्रतिशत उड़द 25.51 हेक्टेयर 6.84 हेक्टेयर 26.81 प्रतिशत गेहूं 101258.72 हेक्टेयर 43785.53 हेक्टेयर 43.24 प्रतिशत टोटल 148221.646 हेक्टेयर 40469.771 हेक्टेयर 47.54 प्रतिशत
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