पंचाने नदी से जुड़ी नहरों का होगा नवीनीकरण
पंचाने नदी के पुनर्स्थापन और उससे जुड़ी नहरों के नवीनीकरण से जिले के चार प्रखंड गिरियक, सिलाव, राजगीर और बिहारशरीफ की खेती को नया जीवन मिलेगा.
बिहारशरीफ. जिले के किसानों के लिए राहत भरी खबर है. पंचाने नदी के पुनर्स्थापन और उससे जुड़ी नहरों के नवीनीकरण से जिले के चार प्रखंड गिरियक, सिलाव, राजगीर और बिहारशरीफ की खेती को नया जीवन मिलेगा. इस महत्वाकांक्षी पंचाने सिंचाई योजना के पूरा होने से 17 पंचायतों के 50 से अधिक गांवों की लगभग 10 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह सुचारू हो जायेगी. इस योजना पर कुल 50 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. यह परियोजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के दौरान अनुशंसित की गई थी और इसे सिंचाई विभाग द्वारा चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है. पंचाने नदी के गिरियक स्थित मुहाने के पास उड़ाही का कार्य तेजी से चल रहा है. सिंचाई विभाग के अनुसार, नदी के पुनर्स्थापन का यह कार्य सितंबर 2026 तक पूरा कर लिया जायेगा. नदी की गहराई बढ़ने से जलधारण क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे बारिश के मौसम में अधिक पानी संचित किया जा सकेगा और जरूरत के समय खेतों तक पहुंचाया जा सकेगा. पंचाने नदी की 58 किलोमीटर लंबाई में होगी उड़ाही : सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता अजीत प्रसाद ने बताया कि पंचाने नदी की कुल 58 किलोमीटर लंबाई में उड़ाही की जानी है. अब तक 25 किलोमीटर का कार्य पूरा किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि योजना के तहत केवल नदी की उड़ाही ही नहीं, बल्कि नदी से जुड़ी नहरों के मुहानों की भी उड़ाही और नवीनीकरण किया जायेगा, ताकि नदी में पानी बढ़ने पर नहरों के माध्यम से वह आसानी से खेतों तक पहुंच सके. इस परियोजना के अंतर्गत पंचाने नहर प्रणाली की दायां और बायां मुख्य नहरों का नवीनीकरण, पुनर्स्थापन और कुछ हिस्सों में लाइनिंग की जायेगी. नहरों के दुरुस्त होने से उनमें उनकी डिजाइन क्षमता के अनुरूप जल प्रवाह संभव हो सकेगा. इससे पानी की बर्बादी रुकेगी और सिंचाई क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा. इस योजना से जिन पंचायतों के किसान सीधे लाभान्वित होंगे, उनमें गिरियक, घोसरावां, प्यारेपुर, रैतर, पुरैनी, बराकर, पावाडीह, घोसतावां, गोरमा, करियन्ना, माहुरी, नानंद, नीरपुर, सब्बैत, नईपोखर, तेतरावां, छातो, सिंधु और हरगावां शामिल हैं. इन पंचायतों के किसानों को अब खेती के लिए बारिश पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. बारिश आधारित है पंचाने नदी : जिले की अधिकांश नदियां वर्षा आधारित हैं और पंचाने नदी भी उनमें से एक है. पंचाने नदी की पांच सहायक नदियां ढाढ़र, तिलैया, धनराजी, सोभी और खुरी हैं. इसका उद्गम हजारीबाग और गया जिले की पहाड़ियों से माना जाता है. पंचाने नदी का जलग्रहण क्षेत्र करीब 1000 वर्ग मील में फैला हुआ है. पंचाने नदी पर गिरियक के पास 1963 में बांध का निर्माण किया गया था। यह योजना मूल रूप से खरीफ धान की सिंचाई को ध्यान में रखकर तैयार की गई थी. पुराने पंचाने नहर तंत्र में 185 मीटर लंबा वीयर तथा दायां और बायां मुख्य नहर के लिए हेडवर्क्स बनाये गये थे. दायां मुख्य नहर की क्षमता 150 क्यूसेक और बायां मुख्य नहर की क्षमता 240 क्यूसेक थी, जिससे कुल 10 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव होती थी. समय के साथ नहरों की वितरण प्रणाली जर्जर हो गई थी, जिससे पूरा पानी नहरों में नहीं पहुंच पाता था और वीयर के नीचे पानी व्यर्थ बह जाता था. अब इस योजना के क्रियान्वयन के बाद करीब 4000 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का पुनर्स्थापन संभव होगा और किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा. किसानों के लिए नयी उम्मीद : पंचाने सिंचाई योजना के पूरा होने से जिले में खेती की निर्भरता वर्षा पर कम होगी, फसल उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. यह योजना जिले की कृषि व्यवस्था को नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है.
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