मत्स्य पालन में नालंदा को सूबे में मिला तीसरा स्थान
केंद्र और राज्य सरकार की मत्स्य संबंधी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में नालंदा जिले ने एक बार फिर से अपनी दक्षता और सक्रियता का प्रमाण दिया है.
बिहारशरीफ. केंद्र और राज्य सरकार की मत्स्य संबंधी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में नालंदा जिले ने एक बार फिर से अपनी दक्षता और सक्रियता का प्रमाण दिया है. मत्स्य विभाग के सतत प्रयासों के चलते जिले ने राज्य स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त किया है, जो मछली पालन क्षेत्र में जिले की मजबूत स्थिति को दर्शाता है. इस संबंध में जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार ने बताया कि राज्य व केंद्र सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ मछली पालकों तक पहुंचाने के लिए विभाग लगातार कार्यरत है. चाहे वह प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना हो, नीली क्रांति योजना हो या राज्य सरकार द्वारा संचालित अन्य सहायतात्मक योजनाएं नालंदा जिले में इन सभी योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया है. मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि मछली पालन को लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार हर संभव सहायता उपलब्ध करा रही है. हमारी कोशिश है कि ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिलें और वे मत्स्य पालन के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनें. तालाबों की खुदाई एवं विकास हेतु अनुदान, बीज चारा एवं मत्स्य उपकरणों पर सब्सिडी, समूह आधारित मत्स्य पालन को प्रोत्साहन, विकासशील व पिछड़े क्षेत्रों में प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिले में तालाबों का पुनर्जीवन व नये तालाबों का निर्माण बढ़ा है. बायोफ्लॉक तकनीक को अपनाने वाले किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है. महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. मत्स्य उत्पादन में गत वर्षों की तुलना में 15% से अधिक वृद्धि हुई है. मत्स्य विभाग का यह प्रयास न केवल स्वरोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है, बल्कि राज्य सरकार के आत्मनिर्भर बिहार अभियान को भी गति प्रदान कर रहा है.
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