सारिपुत्त के जीवन दर्शन में विश्व शांति का संदेश : प्रो सिद्धार्थ सिंह

यह आयोजन परंपरागत रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता रहा है. भिक्षु सारिपुत्त भगवान बुद्ध के परम शिष्यों में से एक थे.

By AMLESH PRASAD | November 11, 2025 9:56 PM

राजगीर. नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा द्वारा भिक्षु सारिपुत्त के 2512वें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर 16वीं वैश्विक शांति यात्रा का आयोजन अग्रहायण कृष्ण सप्तमी 11 नवंबर मंगलवार को किया गया. यह आयोजन परंपरागत रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता रहा है. भिक्षु सारिपुत्त भगवान बुद्ध के परम शिष्यों में से एक थे. पंचाने नदी के तट पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो सिद्धार्थ सिंह ने सारिपुत्त के जीवन, उनके बौद्ध धर्म में योगदान तथा बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने सारिपुत्त को प्रज्ञा श्रेष्ठ शिष्य कहा था। प्रो. सिंह ने पालि साहित्य के समादिठ्ठी सुत्त, दिघनख सुत्त, नंदक सुत्त तथा संस्कृत ग्रंथ सारिपुत्त प्रकरण का उल्लेख करते हुए उनके ज्ञान, करुणा और साधना के मार्ग पर चलने की प्रेरणा बताई. उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म की शिक्षा जनसामान्य के कल्याण के लिए है. नव नालंदा महाविहार इस विरासत को जीवंत बनाए हुए है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों में शांति यात्राओं में भाग लिया है. परंतु इस तरह की शैक्षणिक और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण केवल नव नालंदा महाविहार में ही देखा जाता है. कुलपति ने कहा कि मगध की यह भूमि बौद्ध अध्ययन की मूल भूमि है. किसी भी विद्यार्थी की शिक्षा तब तक पूर्ण नहीं हो सकती जब तक वह बौद्ध अध्ययन से परिचित न हो. उन्होंने कहा कि यदि समाज का कोई व्यक्ति ऐसी धरोहरों के संरक्षण हेतु आगे आता है, तो महाविहार उसकी हर संभव सहायता करेगा. सारिपुत्त का धम्म, बुद्ध और संघ के विकास में अमूल्य योगदान रहा है. चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाहियान के अनुसार, सारिपुत्त का गांव गिरियक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित था. बिहार सरकार ने उनके परिनिर्वाण दिवस को सारिपुत्त दिवस के रूप में मान्यता दी है. नव नालंदा महाविहार ने 2010 से वैश्विक सारिपुत्त शांति यात्रा का आयोजन किया जा रहा है. इस वर्ष यह 16वीं यात्रा है. कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ धम्मज्योति के मंगल पाठ से हुआ. कुलपति प्रो सिंह ने 800 मीटर की शांति यात्रा का नेतृत्व करने के बाद पौधारोपण किया. विषय प्रवेश प्रो. विश्वजीत कुमार ने किया, जबकि प्रो बिनोद कुमार चौधरी, प्रो श्रीकांत सिंह, कुलसचिव प्रो रूबी कुमारी, प्रो रविन्द्र नाथ श्रीवास्तव और प्रो विजय कुमार कर्ण ने विचार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन प्रो राणा पुरुषोत्तम कुमार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ मुकेश कुमार वर्मा ने प्रस्तुत किया.

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