बिहारशरीफ के वन भूमि पर लगातार हो रहे अवैध कब्जे

जिले में बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से धीरे-धीरे वन क्षेत्र घट रहे हैं. प्रकृति को निखारने की जगह भूमि माफिया वन क्षेत्रों को हड़पने में लगे हैं. जिले के 29 लाख लोगों को सांस लेने के लिए महज 4711 हेक्टेयर में वन क्षेत्र है, जिसे शुद्ध हवा और बेहतर पर्यावरण के लिए पर्याप्त नहीं कहा जाता सकता. इ

By Rajat Kumar | June 12, 2020 7:56 AM

प्रभात खबर पड़ताल

बिहारशरीफ : जिले में बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से धीरे-धीरे वन क्षेत्र घट रहे हैं. प्रकृति को निखारने की जगह भूमि माफिया वन क्षेत्रों को हड़पने में लगे हैं. जिले के 29 लाख लोगों को सांस लेने के लिए महज 4711 हेक्टेयर में वन क्षेत्र है, जिसे शुद्ध हवा और बेहतर पर्यावरण के लिए पर्याप्त नहीं कहा जाता सकता. इसपर भी 72 हेक्टेयर वन क्षेत्र पर अलग-अलग 17 व्यक्तियों ने गलत ढंग से अवैध कब्जा कर लिया है, जो फिलहाल लंबी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर प्रशासन ने वापस हासिल कर लिया. वर्षों पहले राजगीर के वन क्षेत्र में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र स्थापित हुआ था. इसके बदले एकंगरसराय, इस्लामपुर में सरकारी जमीन को वन क्षेत्र विकसित करने के लिए उपलब्ध कराया गया था, परंतु वहां कुछ लोगों ने उक्त सरकारी जमीन पर मकान व खेत बनाकर कब्जा जमा लिया था.

इस जमीन को वापस में सरकार को दस वर्ष लग गये. इस दौरान वहां पर वहां पर वन क्षेत्र विकसित नहीं हो पाया. फिलहाल पांच डिसमिल जमीन वन विभाग के पास आ गया है. कुछ जमीन अभी भी कब्जाधारियों के पास है. दूसरी ओर प्रति वर्ष वन विभाग के माध्यम से विभिन्न संस्था व अधिकारियों के माध्यम से हजारों पौधे प्रत्येक वर्ष बरसात के मौसम में लगाये जाते हैं. इन विभागीय प्रयास से अब तक सड़क, तालाब, नदी, तटबंध, सरकारी कार्यालय कैंपस आदि में सैकड़ों किलोमीटर पर पेड़-पौधे लगाये गये हैं, परंतु अब तक ऐसे क्षेत्रों में महज 771 किलोमीटर में पेड़-पौधे की हरियाली दिख रही है. पर्यावरण दिवस पर स्कूल, कॉलेज, स्वयंसेवी संस्था, राजनीतिक दल, प्रशासनिक अधिकारी जहां-तहां जैसे-तैसे पौधे लगाते है. इस कार्यक्रम को खूब प्रचार-प्रसार भी करते हैं, परंतु लगाये गये पौधे को पानी और आवारा पशुओं से बचाने की पहल करना भुल जाते हैं. गत दस वर्षों में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक सड़कों के किनारे लाखों पौधे लगाये गये, लेकिन अधिकांश पौधे बर्बाद हो चुके हैं. शहर के श्रम कल्याण मैदान, रांची रोड, सोहसराय, नाला रोड, हिरण्य पर्वत, सुभाष पार्क के आस-पास, अस्पताल चौक, छोटी पहाड़ी रोड आदि क्षेत्रों में खुब पौधे लगाये गये थे, जो अधिकांश वर्तमान में फुटपाथी दुकानदारों और आवारा मवेशियों की भेंट चढ़ गये हैं. पेड़-पौधे को अपने बच्चों की तरह लगाने और पालने की जरूरत है.

क्या कहते हैं अधिकारी

अतिक्रमित एकंगरसराय, इस्लामपुर सरकारी भूमि वापस हासिल कर, वहां पौधारोपण किया गया है. वन विभाग कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में लगाये पौधे को तीन से पांच साल तक सुरक्षा व पटवन की व्यवस्था करती है. विभाग के पास संसाधन व बजट सीमित है. पौधा उपलब्ध करने के लिए विभाग हर समय तत्पर है, परंतु लगाये गये पौधे को सुरक्षा लोगों की जागरूकता पर निर्भर करता है.

डॉ नेशमणि, डीएफओ, नालंदा

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