तेतरावां में पांच मवेशियों की मौत, 200 से अधिक बीमार, पशुपालक परेशान

नालंदा जिले में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) का प्रकोप लगातार गंभीर होता जा रहा है. इस बीमारी ने अब बिहारशरीफ प्रखंड के तेतरावां गांव को अपनी चपेट में ले लिया है.

By AMLESH PRASAD | September 9, 2025 10:22 PM

बिहारशरीफ. नालंदा जिले में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) का प्रकोप लगातार गंभीर होता जा रहा है. इस बीमारी ने अब बिहारशरीफ प्रखंड के तेतरावां गांव को अपनी चपेट में ले लिया है. पिछले 15 दिनों में यहां पांच मवेशियों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 से अधिक गंभीर रूप से बीमार हैं. गांव में बीमारी फैलने के पंद्रह दिन बाद भी पशुपालन विभाग की कोई मेडिकल टीम नहीं पहुंची. नतीजन पशुपालक मजबूरी में निजी डॉक्टरों से इलाज करा रहे हैं. शिवन यादव, रामेश्वर यादव, प्रकाश यादव, कैलू यादव और बहादुर ठाकुर जैसे किसानों के मवेशी इस बीमारी की भेंट चढ़ चुके हैं. वर्तमान में 20 किसानों के 30 से अधिक पशु जीवन-मौत से जूझ रहे हैं.

पशुपालकों के अनुसार, बीमार पशुओं की त्वचा पर लाल-लाल गांठें (नोड्यूल्स) उभर आई हैं. तेज बुखार, नाक से स्राव और भोजन करने में असमर्थता इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं. गाय और बछड़े ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, जबकि भैंसों पर असर तुलनात्मक रूप से कम है. तेतरावां गांव के अधिकांश लोग पशुपालन और दूध की बिक्री पर निर्भर हैं. लंपी रोग ने न केवल दूध उत्पादन ठप कर दिया है, बल्कि निजी इलाज का खर्च किसानों की कमर तोड़ रहा है. पशुपालक चिंतित हैं कि अगर समय रहते इलाज नहीं हुआ तो मृत्यु दर और बढ़ सकती है.

यह बीमारी केवल तेतरावां तक सीमित नहीं है. एकंगरसराय, हिलसा, इस्लामपुर, परवलपुर, राजगीर, बेन, सिलाव, हरनौत और रहुई प्रखंडों में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है. आंकड़ों के अनुसार, नालंदा जिले में अब तक 200 से अधिक मवेशी संक्रमित हो चुके हैं. संक्रमित पशुओं को तुरंत अलग करें. पशुशाला में नियमित रूप से साइपरमेथरिन और फिनाइल का छिड़काव करें. मच्छर-मक्खियों से बचाव के लिए नीम के पत्तों का धुआं करें. बीमार पशुओं को खुले मैदान में चरने न ले जाएं. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. समय पर इलाज मिलने पर 90% से अधिक मवेशी ठीक हो सकते हैं. जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ रमेश कुमार का कहना है कि प्रभावित गांवों में शिविर लगाने का निर्देश दिया गया है. पशु अस्पतालों में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि डायल 1962 पर कॉल करने पर मेडिकल टीम घर तक पहुंचायी जायेगी.

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