जिले में दाखिल-खारिज के हजारों मामले लंबित

जिले के अंचल कार्यालय दाखिल-खारिज (जमीन के दस्तावेजों के पंजीकरण व स्वामित्व हस्तांतरण) के मामलों के निपटारे में लापरवाही बरत रहे हैं. इसकी वजह से 4,287 मामले लंबित हैं, जिनमें 35 दिनों से 1,592 और 75 दिनों से 472 आवेदन पेंडिंग हैं.

By SANTOSH KUMAR SINGH | March 26, 2025 9:29 PM

बिहारशरीफ (नालंदा): जिले के अंचल कार्यालय दाखिल-खारिज (जमीन के दस्तावेजों के पंजीकरण व स्वामित्व हस्तांतरण) के मामलों के निपटारे में लापरवाही बरत रहे हैं. इसकी वजह से 4,287 मामले लंबित हैं, जिनमें 35 दिनों से 1,592 और 75 दिनों से 472 आवेदन पेंडिंग हैं. इसके अलावा, 2,069 मामले निर्धारित समय सीमा में निपटाए नहीं जाने के कारण एक्सपायर हो गए. राजगीर और बिहारशरीफ में सबसे ज्यादा लंबित मामले- अंचल स्तर पर सबसे अधिक राजगीर में 729 और बिहारशरीफ में 746 दाखिल-खारिज के आवेदन फाइलों में धूल खा रहे हैं. ऑनलाइन दाखिल-खारिज प्रणाली लागू होने के बाद से अब तक जिले के 20 अंचलों में 3,85,942 आवेदन दाखिल किए गए, जिनमें से मात्र 60.77 प्रतिशत (2,31,916) को ही स्वीकृति मिली है, जबकि 39.23 प्रतिशत (1,49,739) आवेदन अस्वीकृत हो चुके हैं. आवेदकों को भटकना पड़ रहा है- इतनी बड़ी संख्या में मामले लंबित होने से आवेदकों को कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है. जबकि, जिला प्रशासन की ओर से अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि दाखिल-खारिज के आवेदन को रिजेक्ट करने से पहले आवेदकों को सूचित कर त्रुटियों को दूर करने का मौका दिया जाए. लेकिन यह निर्देश भी धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है. जमीन खरीद के साथ ही स्वत: म्यूटेशन (सुओ मोटो) की सुविधा भी केवल कागजी घोषणा तक सीमित रह गई है. तीन साल पहले शुरू की गई इस सेवा का उद्देश्य था कि जमीन खरीदारों को अंचल कार्यालय के चक्कर न लगाने पड़ें, लेकिन अब तक एक भी मामले में स्वत: म्यूटेशन नहीं हुआ है. प्रशासन की सख्त हिदायत के बावजूद सुधार नहीं- जिला प्रशासन द्वारा अंचल अधिकारियों को नियमित तौर पर निर्देश दिए जाते हैं कि दाखिल-खारिज के आवेदनों को समयबद्ध तरीके से निपटाया जाए और आवेदकों को पारदर्शी तरीके से सूचित किया जाए, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह व्यवस्था अभी तक सुचारू नहीं हो पाई है. जिले में दाखिल-खारिज प्रक्रिया की धीमी गति और लंबित मामलों की बढ़ती संख्या आम लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है. प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि लोगों को अनावश्यक भटकना न पड़े और उनके जमीन संबंधी दस्तावेजों का समय पर निपटारा हो सके.

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