नालंदा की बेटी आरती गुप्ता ने रचा इतिहास
स्थानीय भरावपर के प्रतिष्ठित व्यवसायी स्व गोरीशंकर प्रसाद गुप्ता की पुत्री आरती गुप्ता ने अंटार्कटिका जा कर इतिहास रच दिया हैं.
बिहारशरीफ. स्थानीय भरावपर के प्रतिष्ठित व्यवसायी स्व गोरीशंकर प्रसाद गुप्ता की पुत्री आरती गुप्ता ने अंटार्कटिका जा कर इतिहास रच दिया हैं. आरती गुप्ता प्रसिद मौसम विज्ञानी है तथा विभिन्न खोजो के उद्देश्य से वह माइनस 60 डिग्री के टेम्पेरेचर वाले अंटार्कटिका में भी जाने का फैसला किया. वह अंटार्कटिका जाने बाली बिहार की पहली बेटी बन गयी है. उसने अपने महत्वाकांक्षा से देश दुनिया में बिहार का नाम रौशन किया है. साथ ही उन्हें भारतीय मौसम विभाग की पहली महिला होने का गौरव भी प्राप्त हुआ है, जो अंटार्कटिका के शीतकालीन अभियान का हिस्सा बनी हैं.आरती गुप्ता भारत मौसम विज्ञान केंद्र, पटना शाखा से चयनित होकर 45वें भारतीय वैज्ञानिक अंटार्कटिका शीतकालीन अभियान में शामिल हुई हैं. इस अभियान में कुल 52 सदस्य शामिल हैं, जिनमें वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ, लॉजिस्टिक्स कर्मी और मेडिकल टीम के सदस्य हैं. सभी सदस्य अलग-अलग पृष्ठभूमि से होते हुए भी एक साझा लक्ष्य के लिए कार्य कर रहे हैं. आरती गुप्ता अंटार्कटिका में मौसम विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर शोध कर रही हैं. अंटार्कटिका को ‘श्वेत महाद्वीप’ कहा जाता है, जो पृथ्वी का सबसे ठंडा, सबसे सूखा और सबसे तेज हवाओं वाला क्षेत्र है. यहां गर्मियों में तापमान शून्य डिग्री के आसपास और सर्दियों में –89 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. आरती बताती हैं कि जब उन्होंने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग में कार्यभार संभाला था, तब विभागीय पत्रिका में पूर्व अंटार्कटिका अभियानों के बारे में पढ़ा. उसी समय उन्होंने ठान लिया था एक दिन मैं भी अंटार्कटिका जरूर जाऊंगी. किताबों में पढ़ी बर्फीली दुनिया को आज अपनी आंखों से देखना उनके लिए सपने के साकार होने जैसा है. अंटार्कटिका अभियान में चयन की प्रक्रिया अत्यंत कठिन होती है. इसके लिए बहुस्तरीय चयन किया जाता है. चयनित उम्मीदवारों की एम्स, नई दिल्ली में एक सप्ताह तक शारीरिक और मानसिक फिटनेस जांच होती है. इसके बाद आईटीबीपी पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान, औली में एक माह तक अत्यधिक ठंड, बर्फीले क्षेत्रों, ऊंचाई पर जीवन-यापन, आपातकालीन स्थितियों में जीवित रहने की ट्रेनिंग दी जाती है. विभागीय प्रशिक्षण और विशेष अभ्यास के बाद ही अंतिम रूप से चयन किया जाता है. अंटार्कटिका का शीतकालीन जीवन अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है. महीनों तक अंधकार, अत्यधिक ठंड, सीमित संसाधन और बाहरी दुनिया से लगभग पूर्ण संपर्क-विच्छेद के बीच धैर्य, अनुशासन और टीम भावना सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है. आरती गुप्ता का भविष्य का लक्ष्य अंटार्कटिका में अपने दायित्वों का पूरी निष्ठा से निर्वहन करना, भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना और देश की बेटियों को यह विश्वास दिलाना है कि कोई भी सपना असंभव नहीं होता. वही रेमण्ड शोरूम एवम् क्लायण ज्वेलर्स के संचालक शशिकांत कुमार गुप्ता ने अपनी बहन की इस ऐताहासिक उपल्बधी पर प्रंसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह मात्र नालंदा नही बल्कि पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है.
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