नालंदा केवल विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि बौद्धिक आदान-प्रदान का वैश्विक केंद्र : प्रो. सिद्धार्थ सिंह
दुनिया में नालंदा भावना की खोज विषय पर प्रो सिद्धार्थ सिंह के संचालन में शोभना नारायण और अखिलेंद्र मिश्रा ने वैश्विक संदर्भ में नालंदा की बौद्धिक परंपरा की चर्चा की.
राजगीर. दुनिया में नालंदा भावना की खोज विषय पर प्रो सिद्धार्थ सिंह के संचालन में शोभना नारायण और अखिलेंद्र मिश्रा ने वैश्विक संदर्भ में नालंदा की बौद्धिक परंपरा की चर्चा की. वक्ताओं ने कहा कि नालंदा केवल एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि संवाद, सहिष्णुता और ज्ञान के आदान-प्रदान की जीवंत परंपरा है. सत्र की अध्यक्षता नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सिद्धार्थ सिंह ने की. सत्र में अभिनेता, लेखक एवं विचारक अखिलेंद्र मिश्रा, शास्त्रीय नृत्यांगना डाॅ शोभना नारायण ने सहभागिता की. इस अवसर पर प्रो सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि नालंदा की परंपरा प्रश्न पूछने, विचारों को चुनौती देने और संवाद के माध्यम से ज्ञान को विकसित करने की रही है. यह स्थल सदियों से विमर्श, सहिष्णुता और बौद्धिक आदान-प्रदान का वैश्विक केंद्र रहा है. साहित्य महोत्सव जैसे आयोजन उसी जीवंत परंपरा को समकालीन संदर्भों में आगे बढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि साहित्य, कला और दर्शन केवल अभिव्यक्ति के माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे समाज की चेतना को दिशा देने वाले सशक्त उपकरण हैं. आज जब विश्व वैचारिक, नैतिक और मानवीय चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे संवादात्मक मंच युवाओं को विवेक, करुणा और रचनात्मक सोच की ओर प्रेरित करते हैं. कुलपति ने रेखांकित किया कि नव नालंदा महाविहार केवल अतीत की गौरवशाली विरासत का संरक्षण नहीं कर रहा, बल्कि बौद्धिक नवाचार, अंतर-सांस्कृतिक संवाद और वैश्विक शांति के विचार को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्यरत है. नालंदा साहित्य महोत्सव परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु का कार्य करता है. सत्र के दौरान साहित्य, प्रदर्शन कला, दर्शन, सृजनात्मकता तथा समकालीन सामाजिक चेतना जैसे विषयों पर गहन संवाद हुआ. वक्ताओं ने अपने अनुभवों और विचारों के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं की निरंतर प्रासंगिकता को रेखांकित किया. श्रोताओं की सक्रिय सहभागिता, विचारपूर्ण प्रश्नोत्तर संवाद और जीवंत चर्चा ने सत्र को अत्यंत प्रभावशाली और प्रेरणादायी बना दिया.
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