इस गांव के तालाब से मिली हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमा, पहले भी प्रकट हो चुकी है भगवन विष्णु व गणेश की मूर्तियां

शनिवार की सुबह तालाब में मछली पकड़ने के दौरान हनुमान जी की काले पत्थर की बनी प्रतिमा मिली. तलब से मिली इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग ढाई फुट है. प्रतिमा मिलने की जानकारी जब गांव के आसपास के लोगों को मिली, तो भीड़ जुटनी शुरू हो गयी.

By Prabhat Khabar | June 4, 2023 2:57 AM

गया: गया जिले के अमरपुर गांव से एक चमत्कारिक घटना सामने आ रही है. जहां मछली पकड़ने के दौरान तालाब से बेशकीमती काले रंग की एक प्रतिमा मिली है. मामला मऊ पंचायत के अमरपुर गांव का है. शनिवार की सुबह तालाब में मछली पकड़ने के दौरान हनुमान जी की काले पत्थर की बनी प्रतिमा मिली. तलब से मिली इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग ढाई फुट है. प्रतिमा मिलने की जानकारी जब गांव के आसपास के लोगों को मिली, तो भीड़ जुटनी शुरू हो गयी. तालाब से मिले हनुमान जी की मूर्ति को गांव के पास एक निर्माणाधीन मंदिर में रख दी गयी है.

पहले भी निकल चुकी हैं कई प्रतिमाएं 

इस चमत्कारिक घटना के बाद से गांव के लोगों में आस्था की लहर दौड़ गई है. तालाब से प्रकट हुई मूर्ति को जहां रखा गया है वहां अब पूजा-अर्चना भी शुरू हो गयी है. ग्रामीण एवं सामाजिक कार्यकर्ता राजू शर्मा ने बताया कि इस तालाब से अब तक कई दुर्लभ प्रतिमाएं निकली हैं. तीन वर्ष पूर्व इसी तालाब से भगवान विष्णु व एक वर्ष पूर्व भगवान गणेश की प्रतिमा मिली थी. राजू शर्मा व कई ग्रामीण जन सहयोग से गांव में ही एक मंदिर का निर्माण करा रहे हैं व उसी निर्माणाधीन मंदिर में सभी प्रतिमाओं को स्थापित कर रहे हैं.

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गांव वालो की मांग पुरातत्व विभाग को इस तालाब की खुदाई करानी चाहिए

गांव के लोग बताते हैं कि अमरपुर के तालाब की खुदाई होने से इतिहास की कई परतें खुल सकती हैं. पुरातत्व विभाग को इस तालाब की सघन खुदाई करानी चाहिए, ताकि कई अन्य जानकारियां एवं दुर्लभ प्रतिमाएं सामने आ सकें. टिकारी का क्षेत्र मूर्ति कला का उत्कृष्ट स्थल रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि अमरपुर से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है केसपा गांव, जहां लोक आस्था का महा केंद्र मां तारा देवी मंदिर है. इस गांव में भी कई बार दुर्लभ प्रतिमाओं की प्राप्ति हुई है. तीन वर्ष पहले इसी तालाब से पहले भगवन श्री विष्णु की प्रतिमा प्रकट हुई थी और फिर दो वर्ष बाद भगवान गणेश की भी मूर्ति प्राप्त हुई थी.

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