Bihar News: बिहार में ‘पोमैटो’ से बदलेगी खेती की तस्वीर, एक ही पौधे में उगेगा आलू व टमाटर

Bihar News: गन्ने के साथ गोभी और अन्य अंतरवर्ती फसलों की खेती के बाद अब एक ही पौधे से दो फसल लेने का सपना भी साकार होने जा रहा है. यह प्रयोग सफल हुआ, तो किसानों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा.

By Ashish Jha | December 16, 2025 10:15 AM

Bihar News: नरकटियागंज (पचं), सतीश कुमार पांडेय. सरकार के जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान के संकल्प को नरकटियागंज में जमीन पर उतारा जा रहा है. बिहार में सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में एक नयी क्रांति की आहट सुनाई दे रही है. अब एक ही पौधे में नीचे आलू और ऊपर टमाटर उगाकर किसान अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकेंगे. इस अनोखे पौधे को ‘पोमैटो’ नाम दिया गया है, जो आलू और टमाटर का वैज्ञानिक मेल है. यह अभिनव प्रयोग नरकटियागंज कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और यहां के प्रगतिशील किसानों के प्रयास से आकार ले रहा है. उत्तर प्रदेश में विकसित पोमैटो पौधे को अब चंपारण की मिट्टी और जलवायु में परखा जा रहा है. अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो आने वाले दिनों में खेतों के साथ घरों की छतों, बालकनियों और गमलों में भी पोमैटो की खेती लहलहाती नजर आएगी.

एक पौधे से दो फसल

पोमैटो को विकसित करने में जुटे प्रगतिशील किसान दीपेंद्र दुबे बताते हैं कि यह पूरी तरह वैज्ञानिक ग्राफ्टिंग तकनीक पर आधारित है. इसमें आलू की जड़ और टमाटर की ऊपरी शाखा को जोड़कर एक ही पौधा तैयार किया जाता है. कृषि विज्ञान केंद्र ने उन्हें इस पौधे का ट्रायल करने की जिम्मेदारी दी है. वह पूरे उत्साह के साथ इस प्रयोग में लगे हैं. दीपेंद्र दुबे का कहना है कि चंपारण हमेशा से कृषि प्रयोगों की भूमि रहा है. गन्ने के साथ गोभी और अन्य अंतरवर्ती फसलों की खेती के बाद अब एक ही पौधे से दो फसल लेने का सपना भी साकार होने जा रहा है. यह प्रयोग सफल हुआ, तो किसानों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा.

वाराणसी में विकसित हुआ पोमैटो

भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र वाराणसी द्वारा विकसित इस पोमैटो के बा रे में कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि इसे केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अनंत बहादुर सिंह ने विकसित किया है. चंपारण की जलवायु और मिट्टी इस पौधे के लिए अनुकूल है, इसलिए यहां इसका परीक्षण किया जा रहा है. डॉ सिंह के अनुसार, एक पोमैटो पौधे से औसतन 1 से 1.5 किलो आलू और 4 से 5 किलो टमाटर का उत्पादन संभव है. यदि यह प्रयोग बड़े पैमाने पर सफल रहा, तो सब्जी उत्पादन में एक नया अध्याय जुड़ेगा. बिहार के किसान आधुनिक विज्ञान की मदद से खेती की तस्वीर बदल देंगे.

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