Bihar Election 2025: बिहार में ‘केरल मॉडल’ का वादा, माकपा का घोषणापत्र जारी, NDA पर ‘नकारात्मक राजनीति’ का आरोप
Bihar Election 2025: जब बाकी दल वादों की बारिश कर रहे हैं, माकपा बिहार के चुनाव में ‘केरल मॉडल’ लेकर उतरी है. पार्टी ने कहा “बीस साल में सत्ता ने बिहार को ठगा है, अब जनता बदलाव चाहती है.”
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच वामपंथी मोर्चे की अहम सहयोगी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शनिवार को अपना घोषणापत्र जारी कर दिया. पार्टी की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणापत्र पेश करते हुए राजग सरकार पर तीखे हमले किए और कहा कि राज्य में पिछले दो दशकों से “अधिकारियों और अपराधियों की गठजोड़ वाली सत्ता” कायम है.
NDA सत्ता में, पर विकास गायब’ वृंदा करात का हमला
घोषणापत्र जारी करते हुए वृंदा करात ने कहा कि राजग (NDA) के पास बीते 20 वर्षों की सत्ता के बाद भी “दिखाने लायक कोई ठोस उपलब्धि नहीं है”. उन्होंने कहा-“राजग अब नकारात्मक प्रचार में जुटा है, विपक्षी नेताओं की छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उनके पास जनता के सामने रखने के लिए कुछ नहीं बचा.”
करात ने हाल ही में मोकामा में हुई जन सुराज समर्थक दुलार चंद यादव की हत्या का उल्लेख करते हुए कहा कि “इस घटना से साफ है कि बिहार में अपराधी तंत्र अब भी सत्ता के साए में पल रहा है.” उन्होंने आरोप लगाया कि जदयू प्रत्याशी और पूर्व विधायक अनंत सिंह के समर्थकों पर हत्या में संलिप्तता के आरोप लग रहे हैं.
माफिया राज और जंगलराज कायम
वृंदा करात ने कहा कि “राजग शासन में बिहार में अपराधियों का बोलबाला है और राज्य फिर से माफिया राज में लौटता दिख रहा है.” उन्होंने केंद्र सरकार पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा नेताओं का भाषा स्तर लगातार गिरा है.
“कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को पाकिस्तान का एजेंट कहना शर्मनाक है. भाजपा अब बहस के बजाय गाली की राजनीति कर रही है.”
बिहार में ‘केरल मॉडल’ का वादा
घोषणापत्र के दौरान माकपा नेताओं ने कहा कि पार्टी बिहार में केरल मॉडल को अपनाने की दिशा में काम करेगी. पार्टी का दावा है कि “रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि-आधारित उद्योग, मजदूरों, छात्रों, नौजवानों और महिलाओं के लिए ठोस नीतियां लागू की जाएंगी.”
वृंदा करात ने कहा, “हम जनता को भरोसा दिलाते हैं कि गठबंधन सरकार बनने के बाद हम उन घोषणाओं को लागू करेंगे, जो वास्तव में जनजीवन में बदलाव लाने वाली होंगी. बिहार की जनता बदलाव के इंतजार में है और हम उन्हें वैकल्पिक राजनीति देंगे.”
बीस साल से सत्ता में, फिर भी ठगा बिहार
माकपा के अन्य नेताओं ने कहा कि राज्य में पिछले दो दशकों से एक ही सरकार का बोलबाला रहा है, जिसने जनता की उम्मीदों को धोखा दिया है. उनके अनुसार, “नीतियों में जनता की जगह नौकरशाही का वर्चस्व है और गरीब तबका लगातार हाशिये पर धकेला जा रहा है.”
उन्होंने दावा किया कि केरल की तरह सामाजिक न्याय, शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश कर ही बिहार को “सर्वसमावेशी विकास” के रास्ते पर लाया जा सकता है. इस मौके पर पार्टी के नेता अवधेश कुमार, सर्वोदय शर्मा, प्रभुराज नारायण राव, रामपरी और अनुपम भी मौजूद थे.
चुनाव में वाम मोर्चे का स्वर
माकपा के घोषणापत्र के साथ वामपंथी दलों ने बिहार चुनाव में अपनी वैचारिक जमीन साफ कर दी है — विकास मॉडल बनाम सामाजिक न्याय की बहस के बीच ‘केरल मॉडल बनाम नीतीश मॉडल’ की नई राजनीतिक तुलना भी अब शुरू हो गई है.
करात ने कहा कि बिहार के मतदाता अब यह तय करेंगे कि उन्हें “घोषणाओं की राजनीति” चाहिए या “विकल्प की राजनीति.”
