Bihar Chunav 2025: सीट बंटवारे पर NDA में हलचल! LJP(R) की आपात बैठक से चिराग ने बढ़ाया सस्पेंस
Bihar Chunav 2025: बिहार में चुनावी शंखनाद के बाद अब असली जंग सीटों की हिस्सेदारी पर है. एनडीए के भीतर तालमेल की तस्वीर साफ नहीं है और इसी बीच LJP (रामविलास) ने आपात बैठक बुलाकर सियासी पारा चढ़ा दिया है. सवाल यह है—क्या NDA में सबकुछ वाकई ठीक-ठाक चल रहा है या गठबंधन के भीतर खींचतान गहराने वाली है?
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ऐलान के बाद सीट शेयरिंग को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने गुरुवार को पटना में अहम आपात बैठक बुलाई, जिसमें सीट बंटवारे और चुनावी रणनीति पर मंथन होगा. पार्टी की ओर से चुनाव प्रभारी अरुण भारती ने सुबह 10 बजे प्रदेश कार्यालय में यह बैठक बुलाई. इस कदम को एनडीए के भीतर जारी सीट खींचतान के बीच चिराग पासवान की पॉलिटिकल पोजिशनिंग के रूप में देखा जा रहा है.
एनडीए में सीट बंटवारे पर खींचतान — LJP(R) की बड़ी मांग
पार्टी ने 40 से 50 सीटों की मांग रखी है, जबकि बीजेपी की ओर से मात्र 20 सीटों का प्रस्ताव सामने आया है. साथ ही गठबंधन में चार विशेष शर्तें भी रखी गई हैं. इस असहमति ने NDA के भीतर तनाव को और गहरा कर दिया है.
चिराग की ‘निर्णायक भूमिका’ में दांव
चिराग पासवान ने पार्टी की एकजुटता और पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है. उन्होंने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि एलजेपी (रामविलास) गठबंधन में “सिर्फ दिखावे की भूमिका” नहीं, बल्कि निर्णायक ताकत बनकर उभरेगी.
‘बिहारी फर्स्ट’ पर टिकी रणनीति
आगामी चुनाव में एलजेपी (रामविलास) ‘बिहारी फर्स्ट’ एजेंडे के साथ मैदान में उतरेगी. यह एजेंडा रोजगार, विकास और सामाजिक न्याय पर केंद्रित है. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इस नैरेटिव के जरिए वे युवाओं और मध्यमवर्ग के बीच मजबूत अपील बना सकते हैं.
एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान पहले से ही चल रही थी. जीतन राम मांझी और चिराग पासवान की पॉलिटिक्स ने भाजपा के सामने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. चिराग की आपात बैठक को इसी खींचतान के बीच “दबाव की रणनीति” माना जा रहा है .गठबंधन के अन्य दलों की निगाहें अब भाजपा की अगली चाल पर हैं.
एलजेपी(R) ने दिया ‘गंभीर खिलाड़ी’ का संकेत
इस बैठक के जरिए एलजेपी (रामविलास) ने साफ कर दिया कि वह चुनावी समीकरणों में केवल ‘सहयोगी’ नहीं, बल्कि प्रभावी हिस्सेदारी चाहती है. पार्टी नेतृत्व ने इशारा किया कि किसी भी सूरत में महत्वपूर्ण सीटों से पीछे नहीं हटेंगे. यह संकेत बिहार के चुनावी परिदृश्य में नए उबाल की ओर इशारा कर रहा है.
