Bhagalpur Bridge Collapse: भागलपुर पुल हादसे का मामला पटना हाईकोर्ट पहुंचा, स्वतंत्र जांच के लिए PIL दायर

Bhagalpur Bridge Collapse: बिहार में हुए भागलपुर पुल हादसे का मामला लगातार गरमाता जा रहा है. एक तरफ जहां, राजनीतिक बयानबाजी तेजी से हो रही है. वहीं, हादसे की स्वतंत्र जांच के लिए पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 6, 2023 9:58 AM

बिहार में हुए भागलपुर पुल हादसे का मामला लगातार गरमाता जा रहा है. एक तरफ जहां, राजनीतिक बयानबाजी तेजी से हो रही है. वहीं, हादसे की स्वतंत्र जांच के लिए पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गयी है कि पुल गिरने के हादसे की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए. बता दें कि इससे पहले सीएम नीतीश कुमार ने भी माना था कि कुछ गड़बड़ी के कारण पुल दूसरी बार गिरी है. इसके बाद, मामले में कार्रवाई करते हुए कार्यपालक अभियंता को बर्खास्त कर दिया गया और कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी.

याचिका करता ने लगाये गंभीर आरोप

मामले में पटना हाईकोर्ट में याचिका अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर की ओर से दायर की गयी है. मणिभूषण सेंगर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि करप्शन और पुल बनाने में घटिया सामान का इस्तेमाल करने के चलते पुल ढह गया है. उन्होंने हादसे की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है. याचिका करता ने मांग की है कि हादसे के लिए जो भी दोषी करार दिये जाएं, उनके ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही, याचिका में कहा गया है कि पुल निर्माण करने वाली कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट किया जाए और उससे हुए नुकसान के राशि की भरपायी करायी जाए.

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पुल गिरने की जांच इकोर्ट के जज से करायी जाए : सम्राट

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल गिरने की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच सीबीआई या हाईकोर्ट के जज से करायी जाए. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जब पिछले साल पुल का एक हिस्सा गिरा था, तो आइआइटी रुड़की और एनआइटी पटना ने अपनी जांच में डिजाइन में फाल्ट बताया. कुछ महीने काम बंद रहा, लेकिन डिजाइन में गड़बड़ी की रिपोर्ट के बावजूद इस पर काम शुरू हुआ.सरकार को यह बताना चाहिए कि किन परिस्थितियों में पुल का काम दोबारा शुरू हुआ. 2014 में जब इस पुल का शिलान्यास हुआ, तो उस समय इस विभाग के मंत्री कौन थे, यह सबको पता है. जिस एजेंसी को ठेका मिला, वह बिहार में और काम कर रही है. इसकी जांच होनी चाहिए कि उस एजेंसी को यह काम कैसे मिला. किसकी लापरवाही से यह हुआ है इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.

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