मंत्र, संत और भगवान की नहीं लेनी चाहिए परीक्षा

आरा : संदेश प्रखंड के चिल्होस गांव में आयोजित ज्ञान यज्ञ में प्रवचन करते हुए श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि मंत्र, संत एवं भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए. उन्होंने बताया कि इसी मर्यादा का पालन कुंती ने नहीं किया था, जिसके चलते उनको विवाह से पहले पुत्र को प्राप्त करना पड़ा. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2020 4:41 AM

आरा : संदेश प्रखंड के चिल्होस गांव में आयोजित ज्ञान यज्ञ में प्रवचन करते हुए श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि मंत्र, संत एवं भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए. उन्होंने बताया कि इसी मर्यादा का पालन कुंती ने नहीं किया था, जिसके चलते उनको विवाह से पहले पुत्र को प्राप्त करना पड़ा. कुंती ने मर्यादा का पालन नहीं किया और मंत्र की परीक्षा लेनी शुरू कर दी.

अतः किसी भी व्यक्ति को मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए. किसी भी परिस्थिति में मंत्र की, संत की तथा भगवान की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए. हर व्यक्ति को मर्यादा के अंतर्गत अपने जीवन को जीना चाहिए. किसी भी परिस्थिति में मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. विषम परिस्थितियों में भी मर्यादा का पालन करते रहना चाहिए.
क्योंकि मर्यादा ही पुरुष की शोभा है, मनुष्य की शोभा है, संसार की शोभा है, राष्ट्र की शोभा है, कुल की शोभा है, इस जगत की शोभा है. बिना मर्यादा का मनुष्य जानवर से भी गया गुजरा है. जिस प्रकार जल विहीन नदी का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता. उसी प्रकार मर्यादा के बिना मनुष्य का भी कोई अस्तित्व नहीं है.
जो विषम परिस्थितियों में भी मर्यादा का पालन करते हैं, धर्म का पालन करते हैं, माता-पिता की कद्र करते हैं, स्त्री का सम्मान करते हैं, बुजुर्गों का सम्मान करते हैं. उन पर लक्ष्मी नारायण भगवान की कृपा बनी रहती है और उनका परिवार विकास करता है. उन्होंने कहा कि सबको आपस में प्रेम और सद्भाव के साथ जीवन जीना चाहिए.
भरत के चरित्र को जीवन में उतारना चाहिए. जिस प्रकार त्रेता-द्वापर में एक भाई दूसरे भाई के लिए त्याग की भावना रखते थे. उसको जीवन में उतारना चाहिए और अपने परिवार के लिए, अपने भाई के लिए, अपने समाज के लिए, मन में त्याग की भावना रखनी चाहिए. स्वामी जी महाराज ने कहा कि एक भाई से बेईमानी कर धन उपार्जन कर कबूतर को दाना खिलाने से कोई फायदा नहीं हो सकता.