Bhagalpur news सुलतानगंज सिटी से सटे गांवों को मिलेगा शहर का दर्जा

अमृत 2.0 मिशन के तहत बिहार के 29 जिलों के 51 नगर निकायों में जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें सुलतानगंज नप क्षेत्र भी शामिल है.

By JITENDRA TOMAR | August 8, 2025 12:57 AM

बिहार में अब शहरीकरण की परिभाषा बदलने जा रही है. नप क्षेत्र के आसपास शहरी क्षमता रखने वाले ग्रामीण क्षेत्र अब विकास की मुख्यधारा में शामिल होंगे. अमृत 2.0 मिशन के तहत बिहार के 29 जिलों के 51 नगर निकायों में जीआईएस आधारित मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें सुलतानगंज नप क्षेत्र भी शामिल है. नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव राजीव कुमार श्रीवास्तव ने सभी जिला पदाधिकारियों को पत्र जारी कर एरिया ऑफ इंटरेस्ट (एओआइ) के सीमांकन का प्रस्ताव जल्द भेजने को कहा है. इसके तहत क्लास-2 टाउन 50,000 से 9,999 की आबादी वाले नगर निकायों के लिए अगले 20 वर्षों व इससे अधिक वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रख मास्टर प्लान तैयार होगा. मास्टर प्लान प्रस्तावित व चल रही परियोजना को ध्यान पर रख कर प्रारंभिक प्रारूप तैयार करना है.

शहरी क्षेत्र से जुड़े ग्रामीण इलाकों को मिलेगा लाभ

नप के टाउन प्लानर सुषमा शिल्पी ने बताया कि पत्र मिला है, योजना का दायरा नगर परिषद क्षेत्र के आसपास शहरी क्षमता रखने वाले ग्रामीण क्षेत्र होगा. भविष्य में नप में शामिल करने की योजना कर सुनियोजित विकास के उद्देश्य से काम होगा. बिहार शहरी योजना एवं विकास अधिनियम 2012 और नियमावली 2014 के अंतर्गत शहरी सीमाओं से सटे ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल किया जायेगा, जिनमें शहरीकरण की संभावना है. सीमांकन के तहत प्रस्तावित क्षेत्र की चौहद्दी, नक्शा, क्षेत्रफल, आबादी, प्रशासनिक इकाइयां और राजस्व ग्रामों की सूची तैयार की जायेगी. जीआईएस तकनीक से हाईटेक प्लान तैयार होगा. शहरी क्षमता वाले ग्रामीण क्षेत्र विकास की परिधि में आयेंगे.

मंजूरी के बाद खुलेगा विकास का द्वार

प्रारंभिक प्रस्ताव विभाग को भेजने के बाद उसकी स्वीकृति के उपरांत मास्टर प्लान तैयार होगा, जो क्षेत्रीय विकास की दिशा व दशा तय करेगा. भविष्य की शहरी संरचना विकसित होने की क्षमता है. इससे साफ पानी, सीवरेज, सड़क, परिवहन, हरियाली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की वैज्ञानिक योजना बनायी जा सकेगी. इस परियोजना से सुलतानगंज समेत बिहार के कई नगर परिषद क्षेत्रों में योजनागत और दीर्घकालिक विकास की राह खुलेगी. ग्रामीण क्षेत्र की शहरी पहचान बनेगी और मूलभूत ढांचे को मजबूती मिलेगी. सीमांकन की यह प्रक्रिया सुलतानगंज जैसे शहरों और उससे सटे गांवों के लिए नयी पहचान की शुरुआत है. आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों की तस्वीर बदलेगी.

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