bhagalpur news. सबौर विभूति धान प्रभेद का प्रदर्शन किसानों के लिये वरदान
बीएयू सबौर के द्वारा गोराडीह प्रखंड के विरनौध गांव में अलग-अलग किसानों को सबौर विभूति धान प्रभेद ट्रायल अनुसंधान के लिये लगवाया गया था.
बीएयू सबौर के द्वारा गोराडीह प्रखंड के विरनौध गांव में अलग-अलग किसानों को सबौर विभूति धान प्रभेद ट्रायल अनुसंधान के लिये लगवाया गया था. किसान सौरभ कुमार ने खुशी व्यक्त करते हुये बताया कि उनके खेत में और उनके अगल बगल के खेत में धान की रोपाई के एक सप्ताह के अंदर पहली बार बाढ़ का पानी आया और लगभग 25 दिनों तक धान डूबा रहा. बाढ़ का पानी निकलने के बाद अगल बगल में रोपे गये धान की फसल खत्म हो गयी और दोबारा रोपाई करना पड़ा, जबकि सबौर विभूति धान प्रभेद ऐसी स्थिति को सिर्फ सहन ही नहीं किया बल्कि उसमें अच्छी संख्या में नये-नये कल्ले भी निकले. इतना ही नहीं बाढ़ का पानी दूसरी एवं तीसरी बार भी एक-एक सप्ताह के लिये धान के खेतों में जमा हुआ, लेकिन सबौर विभूति धान प्रभेद के वानस्पतिक विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और ना ही अभी तक किसी भी प्रकार के रोग व्याधि के लक्षण दिखायी दिये. इस धान की अनुशंसा विश्वविद्यालय के शोध समिति द्वारा वर्ष 2025 में की गयी है. जिसको राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संस्थान ब्यूरो नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय पहचान संख्या 17 अक्तूबर को प्रदान किया गया है. इसका विकास डॉ अमरेंद्र कुमार संबंध प्राध्यापक पौधा रोग विज्ञान विभाग एवं टीम द्वारा 12 साल के अथक प्रयास से किया गया है. फॉर्मर फर्स्ट परियोजना द्वारा विकसित प्रदेशों एवं तकनीक को किसानों के बीच प्रसारित किया जा रहा है.
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