bhagalpur news. मंजूषा लोक कला में नारी सशक्तीकरण व मातृत्व को हैदराबाद विवि के शिक्षक व छात्रों ने जाना

अंग क्षेत्र की लोककला मंजूषा का महत्व बढ़ता जा रहा है

By ATUL KUMAR | November 22, 2025 1:00 AM

अंग क्षेत्र की लोककला मंजूषा का महत्व बढ़ता जा रहा है. पिछले पांच साल से राजपथ पर गणतंत्र दिवस के परेड में मंजूषा कला का प्रदर्शन हो रहा है, तो जीआइ टैग लगने के बाद अब हैदराबाद युनिवर्सिटी के शिक्षक व छात्र लोक कला मंजूषा व अन्य संबंधित कला में नारी सशक्तीकरण व मातृत्व को जानेंगे. इसे लेकर आइसीएसएसआर शोध प्रोजेकट के तहत भागलपुर आये और मंजूषा गुरु मनोज पंडित के साथ मंजूषा कला प्रशिक्षण केंद्र बरारी में विद्यार्थियों व शिक्षकों से मिले. इसके बाद भागलपुर के विभिन्न स्थानों पर जाकर जानकारी जुटायी. भागलपुर पहुंचे प्रो डॉ शीला सूर्य नारायणन ने बताया कि लोक कला मंजूषा के साथ लोकनृत्य झिझिया के एक-एक जानकारी जुटायी गयी. यहां की स्थानीय भाषा व संस्कृति से अवगत हुए. अंगिका भाषा के साथ लोक गायिका अर्पिता चौधरी से शादी-विवाह, उपनयन संस्कार आदि आयोजनों में अंगिका गीतों की भागीदारी को जाना. मंजूषा गुरु मनोज पंडित व प्राचार्या सुमना सागर ने मंजूषा के तकनीकी पक्ष को जाना.

अंग क्षेत्र की लोकगाथा सती बिहुला-विषहरी की कहानी से जुड़े स्थानों चंपानगर व अन्य स्थानों पर जाकर कई जानकारी जुटायी. मंजूषा कला नारी सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण है और यह मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाली कला है. बिहुला अपने पति, मित्र आदि को जीवित कर मृत्यु लोक से लौटी थी. मंजूषा कला बनाने पर महिलाओं को खुद को सशक्त होने का बोध होता है. डॉ शीला सूर्य नारायण ने बताया कि शिक्षक के साथ देश के विभिन्न क्षेत्र की लोक कला को संजोने का काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट पर बिहार, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु की लोककला को जोड़ते हुए पूरा करेंगे. उनके साथ सुप्रिया कुमारी, कैमरामैन कुमार गंधर्व, यशेंद्र सोमनाथ भी भागलपुर आयीं है. प्रोजेक्ट पूरा करने में बिंदु देवी पूनम कुमारी, सुरभि सुमन, सुप्रिया कुमारी, अर्चना कुमारी, अर्पणा कुमारी, वैष्णवी कुमारी, मानवी कुमारी, श्रुति राय सहयोग कर रही हैं.

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