Bhagalpur News: वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया आम की सुरक्षा के तरीके

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के वैज्ञानिकों की ओर से किसानों को आम की सुरक्षा की सलाह दी गयी है. वर्तमान समय में तापमान वृद्धि को देखते हुए किसानों को सलाह दी गयी है कि आम में विभिन्न प्रकार के कीट लगते हैं.

By SANJIV KUMAR | April 5, 2025 11:23 PM

प्रतिनिधि, सबौर

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के वैज्ञानिकों की ओर से किसानों को आम की सुरक्षा की सलाह दी गयी है. वर्तमान समय में तापमान वृद्धि को देखते हुए किसानों को सलाह दी गयी है कि आम में विभिन्न प्रकार के कीट लगते हैं. जिसमें आम का मधवा कीट एवं लाल धारीदार फलबेधक का इनदिनों भारी प्रकोप देखने को मिल रहा है. मधुआ कीट जिसे भूरा तना मधवि कीट भी कहते हैं. यह आम पर वृहद नुकसानदायक होता है. यह कीट मंजर पत्तियों और तना का रस चूस कर फसल को बर्बाद कर देता है जिससे मंजर सूख जाता है. मधुआ के प्रकोप से फल तथा पत्तियों पर शहद जैसा पदार्थ लग जाता है और उसमें फफूंदी लग जाती है. जिससे आम के फलों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

फल में सुरंग बना कर गुठली तक पहुंच जाता है मधवा कीट

मधवा कीट के प्रकोप से बचने के लिए ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल एक एमएल, तीन लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें या ऐसीफैट 75 एसपी एक ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें. लाल धारीदार फलबेधक आम की फसल के लिए एक गंभीर समस्या है जो आम के फल में सुरंग बनाकर गुठली तक पहुंच जाता है. आम की फसल को नुकसान पहुंचता है. जिससे फल सड़ कर गिर जाता है. इससे बचने के लिए जनवरी में तने पर क्लोरपायरीफास तथा साइपरमैथरीन मिश्रित दवा का पेड़ के तने पर छिड़काव करें या तब छिड़काव नहीं कर पाये हैं तो मटर के समान फल होने पर अल्फामेथरीन 10 इसी एक एमएल प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें एवं दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिन के बाद करें. साथ ही साथ किसान भाइयों को यह भी सलाह दी जाती है कि आम और लीची के पौधे में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहें. ताकि बगीचे की मिट्टी में नमी बनी रहे. यदि फल गिरने की समस्या ज्यादा हो तो प्लानोमिक्स एक एमएल चार लीटर पानी में घोलकर स्टीकर के साथ छिड़काव करें. इससे फलों का गिरना कम हो जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है