bhagalpur news. छोड़ रास्ता खड़ी हो बीबी, आता है यह पगला घोड़ा…

रंग महोत्सव का दूसरा दिन.

By KALI KINKER MISHRA | December 21, 2025 10:02 PM

-रंग महोत्सव: दूसरे दिन कोलकाता, दिल्ली व प्रयागराज की टीमों ने कला केंद्र में अलग-अलग नाटक का किया मंचनआम का पत्ता जोड़ा-जोड़ा, मारा चाबुक दौड़ा घोड़ा, छोड़ रास्ता खड़ी हो बीबी, आता है यह पगला घोड़ा… उक्त कविता के जरिये मशहूर नाटककार बादल सरकार रचित नारी सशक्तीकरण पर आधारित नाटक पगला घोड़ा का मंचन करते हुए रविंद्र नगर नाट्ययुद्ध कोलकाता के कलाकारों ने दर्शकों को पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की स्थिति का सार समझाया. बताया गया कि पगला घोड़ा यहां पुरुष के प्रति स्त्री के प्रेम भाव का द्योतक है, जिसकी लगाम स्त्री के हाथ में नहीं, बल्कि पुरुष के हाथ में हुआ करता है. जो उसे रौंद कर आगे बढ़ जाता है. चिता पर जलती हुई लड़की की आत्मा बार-बार इस कविता का प्रयोग करती है और इसके माध्यम से स्त्री को ‘प्रेम-ज्वार’ यानि पगला घोड़े के रास्ते में न आने की चेतावनी देती प्रतीत होती है. दोदानी कर्मकार निर्देशित नाटक का संवाद बांग्ला भाषा में था. कला केंद्र में आयोजित भागलपुर रंग महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को संध्या सत्र में कोलकाता, दिल्ली, प्रयागराज व अन्य प्रांतों की टीम ने अलग-अलग नाटक का मंचन कर सामाजिक चेतना को जागृत किया. इससे पहले मंचीय कार्यक्रम का उद्घाटन जेड हसन, दीपो महतो, संजीव कुमार पोद्दार, मृदुला सिंह एवं मनीष कुमार ने संयुक्त रूप से किया. मीडिया प्रभारी धीरज शर्मा एवं सुनील कुमार रंग ने बताया कि मंचीय कार्यक्रम में पांच-पांच प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को सामाजिक सरोकारों से रूबरू कराया. महोत्सव में बिहार सहित देश के नौ राज्यों—मणिपुर, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, असम एवं बिहार नाट्य व नृत्य दल हिस्सा लेने पहुंचे हैं.

पंछी ऐसे आते हैं.. नाटक में सकारात्मक भाव को किया प्रदर्शित

अभी नायक रंगमंच दिल्ली के कलाकारों ने विजय तेंदुलकर रचित व रितिका मल्होत्रा निर्देशित हिंदी नाटक पंछी ऐसे आते हैं का मंचन किया. इसकी कहानी एक साधारण परिवार और उनके घर आये संदिग्ध अतिथि अरुण के इर्द-गिर्द घूमती है. नाटक में सकारात्मक भाव को प्रदर्शित किया गया. इस नाटक में युवाओं की सोच के अनुसार परिवार से इतर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की खोज से अवगत कराता है. यह दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग पंछियों की तरह जीवन में आते हैं, इसमें हास्य और करुणा का मर्मस्पर्शी संतुलन है. फिर अंबर नाट्य संस्थान प्रयागराज के कलाकारों ने हिंदी नाटक दामाद का मंचन किया. यह नाटक सस्पेंस व हास्य से भरा है. नाटक में एक दामाद को चिकित्सक की जांच में गलती से कैंसर बता दिया जाता है. जांच रिपोर्ट गलत होती है. इससे चिकित्सक ने परिवार के लोगों को एक माह के अंदर मौत होने की बात कह दी जाती है. उक्त दामाद के ससुर ने दामाद के इलाज में लाखों रुपये खर्च कर दिया और कर्ज में डूब गया. इसी क्रम में एक करोड़पति की बेटी, जो कभी उक्त दामाद की प्रेमिका होती है. ऐसी हालत में भी शादी करना चाहती है. ससुर ने अपना कर्ज उतारने के लिए अपने दामाद की शादी अपनी बेटी जिंदा होने के बाद भी करोड़पति की बेटी से करा दी. आखिरी में चिकित्सक द्वारा जांच रिपोर्ट में अलग खुलासा किया जाता है, लेकिन नाटक में इसे सस्पेंस रखा गया.

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