बिहार के शिवालयों में नंदी बैल पीने लगे दूध! मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, जानिये क्या है सच

बिहार के कई जिलों में फिर एकबार नंदी बैल की मूर्ति के द्वारा दूध पीने की हवा उड़ी है और लोग ये जानते ही मंदिरों की तरफ दौड़ पड़े ताकि वो भी नंदी को दूध पिला सकें. भागलपुर और गोपालगंज में ये नजारा देखने को मिला.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2022 5:46 PM

बिहार के शिव मंदिरों में फिर एकबार नंदी दूध पीने लगे हैं. दरअसल हम इसका दावा नहीं कर रहे बल्कि उस अफवाह को आपके सामने ला रहे जो इससे पहले भी उड़े और मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. भागलपुर और गोपालगंज में कुछ ऐसा ही नजारा देखा गया जहां लोग अपने हाथों में पात्र लेकर जमा होने लगे जिसमें दूध भरे हुए थे.

भागलपुर में शनिवार की देर शाम अलीगंज मड़वा स्थान शिव मंदिर परिसर में स्थित नंदी द्वारा दूध व जल पीने की चर्चा चारों तरफ आग की तरह फैल गयी. इससे आसपास के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों ने अपने-अपने हाथ से चम्मच में दूध व जल पिलाना शुरू कर दिया. इसका वीडियो भी वायरल हो गया.

लोगों का कहना था कि यहां महाशिवरात्रि पर विशेष पूजन हुआ था. महाशिवरात्रि के बाद नंदी का दूध पीना अच्छी बात है. ईश्वर ने अपनी महिमा प्रस्तुत किया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम को नंदी के दूध पीने की जानकारी हुई. यह बात तेजी से सबके कानों में पहुंच गयी और नंदी को दूध पीलाने वालों की भीड़ जमा हो गयी.

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ऐसा ही वाक्या गोपालगंज से भी जुड़ा हुआ है. जिले के फुलवरिया प्रखंड के मांझा गोसाई गांव में प्राचीन शिवमंदिर में शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गयी. ये भीड़ भी नंदी की प्रतिमा को दूध पिलाने के लिए ही जमा हुई थी.

सोशल मीडिया पर इस प्राचीन शिवमंदिर की फोटो और वीडियो वायरल होने लगी. लोग दावा कर रहे थे कि मंदिर में स्थापित नंदी बैल की मूर्ति दूध पी रही है. लोग चम्मचों के द्वारा नंदी की प्रतिमा को दूध पिलाने की होड़ में दिखे. बता दें कि ऐसा ही एक वाक्या इंदौर में भी देखने को मिला है.

गौरतलब है कि ऐसा ही वाक्या पहले भी सामने देखा गया है जहां देश के कई अलग-अलग हिस्सों में ये बात आग के तरह फैली कि नंदी बैल की प्रतिमा दूध पी रही है और लोग आस्था के सागर में डूबर मंदिरों की तरफ दौड़ पड़े ताकि वो भी नंदी की प्रतिमा को दूध पिला सकें. हालांकि इस दावे का खंडन भी विशेषज्ञ करते हैं लेकिन आस्था हर बार भारी ही पड़ी है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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