भागलपुर में मिली 1300 वर्ष पुरानी भगवान विष्णु की प्रतिमा, 5 साल पहले इस जगह पहुंचे थे सीएम नीतीश

Bihar News: भागलपुर के बिहपुर स्थित गुवारीडीह में लगातार मिल रहे प्राचीन अवशेष एक बार फिर चर्चा में हैं. हाल ही में यहां से लगभग 1300 वर्ष पुरानी पाल कालीन भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा मिली है.

By Paritosh Shahi | December 7, 2025 7:57 PM

Bihar News, ऋषव मिश्रा कृष्णा, भागलपुर: भागलपुर के बिहपुर के गुवारीडीह में पुरातात्विक महत्व वाले अवशेषों के मिलने का सिलसिला जारी है. गुवारीडीह में मिली लगभग 13 सौ वर्ष पुरानी भगवान विष्णु की प्रतिमा चर्चा में है. भगवान विष्णु की यह प्रतिमा अभय मुद्रा है. उनके एक हाथ में दंड स्पष्ट प्रतीत हो रहा है और वे जनेऊ धारण किये हुए हैं. प्रतिमा खंडित है, इतिहासकारों का अनुमान है कि भगवान कमल आसन पर विराजमान हैं. पुरातत्व के विद्वानों की मानें तो यह प्रतिमा पाल कालीन है और यह आठवीं या नौंवी शताब्दी के आसपास का होने का अनुमान है.

प्रतिमा पर रिसर्च

गुवारीडीह टीले के संरक्षित क्षेत्र घोषित होने के पूर्व और पश्चात में टीले से मिले पुरात्व अवशेषों को संरक्षित करने का काम करने वाले जयरामपुर के ग्रामीण अविनाश कुमार उर्फ गंगी दा ने बताया कि करीब 20 दिन पहले ग्रामीण अमित कुमार उर्फ झूनो चौधरी ने कोसी कटाव से प्रभावित कछार से इस प्रतिमा को बाहर निकाला था. उस समय मौके पर ही भागलपुर के दो रिसर्चर भी मौजूद थे. दोनों ने उक्त प्रतिमा झूनो चौधरी से शोध कार्य के निमित्त लिया है. दोनों रिसर्चर प्रतिमा पर रिसर्च कर रहे हैं.

गुवारीडीह को लेकर प्रभात खबर ने चलाया था अभियान, पहुंचे थे सीएम

सर्वप्रथम गुवारीडीह टीले से मिले परातात्विक अवशेष की खबर प्रभात खबर ने प्रकाशित की थी. पहली खबर प्रकाशन के बाद से ही प्रभात खबर ने इसे अभियान के रूप में निरंतर जगह दी थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 20 दिसंबर 2020 के बाद टीले का अवलोकन करने पहुंचे. उनके अवलोकन के बाद टीले को कोसी कटाव से बचाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना से कार्य किया गया और जिला प्रशासन ने गुवारीडीह को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया.

वर्तमान में उक्त टीला जिला प्रशासन के अधीन है और यहां पर देश विदेश से रिसर्चर समय-समय पर आते रहते हैं. हालांकि गुवारीडीह में मिले पुरातात्विक महत्व वाले अवशेषों को संरक्षित करने का काम अब तक नहीं किया गया है. टीले के आसपास सभी अवशेष को ग्रामीण अविनाश कुमार उर्फ गंगी दा के पास संरक्षित है.

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