bhagalpur news. महर्षि संतसेवी का बड़े-बड़े विद्वान मानते थे लोहा

महर्षि संतसेवी सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस महाराज के प्रमुख शिष्य में एक थे.

By NISHI RANJAN THAKUR | June 3, 2025 9:41 PM

महर्षि संतसेवी सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस महाराज के प्रमुख शिष्य में एक थे. सद्गुरु के निधन के बाद महर्षि मेंहीं कुप्पाघाट आश्रम अंतर्गत संतमत के उत्तराधिकारी बने. महर्षि संतसेवी महाराज को मैट्रिक तक की भी डिग्री नहीं थी. केवल सातवीं तक ही पढ़ाई की. इसके बावजूद उनकी बुद्धि इतनी कुशाग्र थी कि कोई भी चीज तुरंत याद हो जाती. बड़े-बड़े विद्वान उनकी विद्वता का लोहा मानते थे. बुधवार को महर्षि मेंहीं आश्रम, कुप्पाघाट समेत देश के विभिन्न स्थानों पर महर्षि संतसेवी महाराज के परिनिर्वाण दिवस पर विविध आयोजन होगा. इसे लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. आश्रम परिसर में अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा की ओर से आयोजन कराया जायेगा. विशेष भंडारा व फल का प्रसाद बांटा जायेगा. संतमत का देश-दुनिया में प्रचार-प्रसार में निभायी बड़ी भूमिका उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की. संतमत के देश-दुनिया में प्रचार-प्रसार में बड़ी भूमिका निभायी. अंग्रेजी भाषा समेत कई भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी. महर्षि मेंहीं उन्हें अपना मस्तिष्क रूप में देखते थे. इनका जब पढ़ने का समय आया तो दुर्गा मध्य विद्यालय गम्हरिया में नाम लिखाया गया. पिता की मृत्यु के बाद दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण राजापुर गांव में पंडित लक्ष्मीकांत झा के घर जाकर उनके बच्चों को पढ़ाने लगे. यहां उन्हें वेद-पुराण व अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन का मौका मिला. इसी क्रम में कनखुदिया में महर्षि मेंहीं परमहंस का आगमन हुआ और संतसेवी महाराज के मुलाकात हुई. 29 मार्च 1939 को महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने इनको मानस जप, मानस ध्यान और दृष्टि योग की दीक्षा दी. 86वें वार्षिक महाधिवेशन ऋषिकेश में मिली महर्षि की उपाधि 1970 में महर्षि संतसेवी परमहंस जी महाराज ने दीक्षा देने का आदेश दिया. 86वें वार्षिक महाधिवेशन ऋषिकेश में इनको महामंडलेश्वर द्वारा महर्षि की उपाधि मिली. चार जून 2007 को संतसेवी महाराज ने निर्वाण प्राप्त किया.

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