बड़ी खबर! देश में अब MBBS की तरह BDS की पढ़ाई भी होगी साढ़े पांच साल, प्रपोजल हुआ तैयार, जानें क्या होगा बदलाव

अब बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (‍BDS) डिग्री का कोर्स भी MBBS की तरह साढ़े पांच साल का हो जायेगा. इसका प्रोजल तैयार कर लिया गया है, जिसकी तैयारी भी शुरू कर दी गयी है. इसके साथ ही बीडीएस का सत्र भी वार्षिक न होकर छह माह के सेमेस्टर के रूप में होगा.

By Prabhat Khabar Print Desk | January 14, 2023 1:10 AM

आनंद तिवारी, पटना

अब बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (‍BDS) डिग्री का कोर्स भी MBBS की तरह साढ़े पांच साल का हो जायेगा. इसका प्रोजल तैयार कर लिया गया है, जिसकी तैयारी भी शुरू कर दी गयी है. इसके साथ ही बीडीएस का सत्र भी वार्षिक न होकर छह माह के सेमेस्टर के रूप में होगा. इसकी सिफारिश डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI) ने केंद्र सरकार को भेजी थी. जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डीसीआइ के बीडीएस पाठ्यक्रम में बदलाव के प्रस्ताव को सहमति दे दी है. सूत्रों की माने तो इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जा सकती है.

लागू होगा सेमेस्टर सिस्टम

जानकारों का कहना है कि अभी एक साल इंटर्नशिप को मिलाकर बीडीएस पाठ्यक्रम पांच साल का होता है. नये सत्र से एक साल की इंटर्नशिप को मिलाकर यह पाठ्यक्रम साढ़े पांच साल का हो जायेगा. इस बदलाव के तहत एमबीबीएस की तरह ही समेस्टर सिस्टम लागू होगा. पूरे पाठ्यक्रम में कुल नौ सेमेस्टर होंगे और एक साल की इंटर्नशिप करनी होगी. इसके तहत बीडीएस के छात्रों को भी एमबीबीएस की तरह हर छह महीने में परीक्षा देनी होगी. जबकि अभी छात्र साल में एक बार परीक्षा देते हैं.

अगले सत्र में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए लागू होगा यह नया नियम

यह पाठ्यक्रम में नया बदलाव उन्हीं छात्रों के पर लागू होंगे जो अगले सत्र से इस पाठ्यक्रम के तहत पहली बार फस्ट इयर में दाखिला लेंगे. सेमेस्टर सिस्टम की शुरुआत से सीखने में आसानी होगी क्योंकि छात्रों को पूरे साल सभी आठ विषयों पर काम करनके बजाय छह महीने की अवधि के लिए केवल 3-4 विषयों पर काम करना होगा. नयी प्रणाली के साथ अधिकतर विस्तृत विषयों को विभिन्न मॉड्यूलों में विभाजित किया जा सकता है, जिन्हें दो या दो से अधिक सेमेस्टर में फैलाया जा सकता है. नया पाठ्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से तैयार किया गया है.

क्या कहते हैं प्रिंसिपल

एमबीबीएस की तरह बीडीएस की पढ़ाई साढ़े पांच साल करने का प्रपोजल तैयार हो गया है, हालांकि अभी इसकी लिखित मंजूरी नहीं आयी है. अगर मंजूरी मिलती है यह नया बदलाव अगले सत्र के छात्रों के लिए लागू होगा. वहीं डीसीआइ का यह फैसला आने वाले समय में दंत चिकित्सा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंशा है कि उच्च शिक्षा की भांति डेंटल में भी पाठ्यक्रम में बदलाव आये. इसी वजह से डॉक्टरी की पढ़ाई में अब खेल, संगीत, योगा समेत बहुत से अन्य विधान को जोड़ा जा रहा है.

डॉ तनोज कुमार, प्रिंसिपल पटना डेंटल कॉलेज.

Next Article

Exit mobile version