धान कटाई में मजदूरों का भारी अभाव, रीपर मशीन से मिला समाधान
जिलेभर में धान फसल पक कर पूरी तरह से तैयार है, जिन्हें समय पर कटने की आवश्यकता है, लेकिन किसानों के सामने मजदूरों की समस्या खड़ी हो गयी है.
मशीन से कटाई पर कम खर्च के साथ-साथ समय का हो रहा बचत
चंदन कुमार, बांका. जिलेभर में धान फसल पक कर पूरी तरह से तैयार है, जिन्हें समय पर कटने की आवश्यकता है, लेकिन किसानों के सामने मजदूरों की समस्या खड़ी हो गयी है. क्षेत्र में मजदूर नहीं मिल रहे हैं. अगर किसी-किसी जगह मजदूर मिल भी रहा है, तो एक दिन के 300 से 500 रुपये तक ले रहा है, जबकि यह जिला कृषि प्रधान जिला में शामिल है. यहां की आबादी में से 70 से 80 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं. जिले में धान की खेती के अलावे रवि फसल के रूप में बड़े पैमाने पर गेहूं, चना, सरसों, आलू, प्याज व लहसुन की खेती की जाती है, लेकिन खेतों में फसल कटाई के लिए किसानों को समय पर मजदूर उपलब्ध नहीं हो रहे हैं. इसके चलते किसान मशीन का सहारा ले रहे हैं. इसमें किसान को कीमत भी कम चुकाना पड़ रहा है. वहीं काम भी जल्दी हो रहा है.इस संबंध में किसान रोहित सिंह, रवि सिंह, अशोक सिंह, मृत्युंजय कुमार आदि ने बताया कि अभी भी क्षेत्र में मशीनों की कमी है. जिस कारण कटाई में किसानों का नंबर काफी दिनों में आ रहा है. लेकिन आने वाले दिनों में अब प्रत्येक गांव में कई किसानों के पास रीपर मशीन हो जायेगा, जिससे किसानों को काफी राहत मिलेगी और समय पर फसल कट जायेगा.
आधे घंटे में मशीन काट देती है एक बीघे का धान
एक रीपर मशीन एक बीघा धान की कटाई के लिए लगभग 1000 से 1200 रुपये लेती है. इसे पूरा करने में केवल आधा घंटा लगता है. यानी यह मशीन एक घंटे में करीब दो बीघा खेत के धान की कटाई कर देती है. इसकी गति और दक्षता ने किसानों की परेशानियों को काफी हद तक कम किया है, जबकि मजदूर न मिलने से कटाई में देरी होती है, जिसके कारण फसल को मंडी तक पहुंचाने में भी विलंब होता है. इससे किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे उनकी आय पर भी असर पड़ता है.
किसानों को समय व पैसा दोनों की हो रही है बचत
मशीन से कटाई होने पर न केवल समय की ही बचत नहीं होती है, बल्कि मजदूरों की कमी और बढ़ते खर्चों से भी राहत मिलती है. इस बदलाव ने क्षेत्र के किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों की ओर आकर्षित किया है. परंपरागत मजदूर आधारित कटाई के बजाय अब वे मशीनों को प्राथमिकता दे रहे हैं. यह कदम न केवल उनकी मेहनत और लागत को कम कर रहा है, बल्कि उनकी फसलों को समय पर मंडी तक पहुंचाने में भी मदद कर रहा है, जिससे बेहतर मूल्य प्राप्त हो रहा है. आधुनिक तकनीक का यह उपयोग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों की आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
खेती के बढ़ावा को लेकर सरकार दे रही सब्सिडी
राज्य सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर किसानों को सब्सिडी (अनुदान) दे रही है, ताकि खेती में आधुनिक मशीनों का उपयोग बढ़ सके. यह सब्सिडी फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों से लेकर ट्रैक्टर, रोटावेटर, थ्रेशर, रीपर जैसी अन्य खेती व किसान के उपयोग में आने वाली मशीनों पर लागू है. जिसकी दरें और पात्रता भिन्न-भिन्न योजनाओं के अनुसार अलग-अलग हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
