छेका के दौरान BSF जवान को आया कॉल, रस्मे छोड़कर देश सेवा के लिए निकला औरंगाबाद का लाल

औरंगाबाद के एक BSF जवान को छेके के बीच सेना से फोन आता है, और उसे अविलंब ड्यूटी जॉइन करने का निर्देश दिया गया. इसके बाद BSF के जवान विजय कुमार ने शादी की रस्में बीच में ही छोड़कर सीधे बॉर्डर के लिए निकल गया.

By Radheshyam Kushwaha | May 12, 2025 3:52 PM

Bihar News: औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के बंगरे गांव के जनेश्वर मेहता के पुत्र विजय कुमार BSF के जवान हैं. उसकी ड्यूटी राजस्थान के सतराना बॉर्डर पर लगी है. यह पूरा इलाका पाकिस्तान से घिरा हुआ है. विजय कुमार एक महीने की छुट्टी लेकर अपने घर आया था. इसी बीच उसकी शादी भी सेट हो गयी. 10 मई की दोपहर करीब एक बजे वधु पक्ष के लोग विजय का छेका करने बंगरे गांव पहुंचे. इसी दौरान अचानक विजय के पास सेना से कॉल आ गया और उसे अविलंब ड्यूटी जॉइन करने का निर्देश दिया गया. वह समय बहुत ही चिंताजनक था. जब विजय ने रिश्तेदारों के सामने ही इसकी जानकारी अपने परिवार वालों को दी, तो घर मे सन्नाटा पसर गया.

छेका की रस्मे आधी अधूरी की गयी पूरी

BSF जवान विजय कुमार का पूरा परिवार भावुक हो उठा. उसी दिन ढाई बजे विजय कुमार को ट्रेन भी पकड़ना था. जल्दीबाजी में किसी तरह छेका की रस्मे आधी अधूरी पूरी की गयी. यूं कहें कि छेका की रस्मे होने के दौरान ही विजय वहां से उठा और अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हो गया. जब विजय वर्दी पहनकर अपने कमरे से निकला तो पूरा परिवार मायूस था, लेकिन माता-पिता के हौसले विजय को हिम्मत दे रही थी. एक तरफ परिवार उदास था तो दूसरी तरफ बीएसएफ जवान विजय के ललाट पर उत्साह की चमक थी, क्योकि वह पिछले वर्ष ही सेना में शामिल हुआ था. वह दुश्मनों से लोहा लेने को तैयार था. जिस जगह पर विजय की ड्यूटी लगी है, वह जगह दुश्मनों की रडार पर रहता है. हमेशा युद्ध की स्थिति बनी रहती है.

विजय को पूरे गांव के लोगों ने सम्मान के साथ की विदाई

जवान हमेशा तैयार भी रहते है. जब विजय अपने घर से निकला तो पूरा गांव उसके पीछे चल पड़ा. सभी लोगों में मायूसी छाई हुई थी. देखते ही देखते पूरे गांव के लोगों की भीड़ जुट गई. यानी विजय को पूरे गांव के लोगों ने सम्मान के साथ विदाई दी. इसके बाद विजय ट्रेन पकड़कर अपने ड्यूटी स्थल पर पहुंचा और देश की सेवा में लग गया. बातचीत के दौरान विजय ने बताया कि युद्ध की स्थिति अब सामान्य हो गयी है, लेकिन आतंकवादियों का कोई ठिकाना नहीं होता. वे कभी भी हमले कर सकते है. इसीलिए सभी जवान दुश्मनों को छक्के छुड़ाने को तैयार हैं. विजय की विदाई के दौरान उसके पिता जनेश्वर मेहता, भाई संजय मेहता, अजय मेहता, रफीगंज विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी संतोष कुशवाहा, पूर्व मुखिया प्रतिनिधि कौशल किशोर मेहता सहित अन्य लोग मौजूद थे.

Also Read: India Pakistan Conflict: शहीद इम्तियाज की अपने बेटे से फोन पर क्या हुई थी आखिरी बात… जानकर आंखें हो जायेगी नम !