””काहेलाऽ आएल हलऽ रक्षाबंधन”” कह फफक पड़ी कौशल्या

औरंगाबाद : भाई-बहन के अटूट प्रेम व रिश्ते को बनाये रखने का त्योहार है, रक्षाबंधन. बहन अपने भाई की कलाई पर धागा रूपी राखी को बांध कर ताउम्र रक्षा की वचन लेती है और भाई की सलामती की दुआमांगती है. भाई कहीं भी हो, बहन राखी बांधने उसके चौखट तक पहुंच जाती है, लेकिन जब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2017 2:23 PM

औरंगाबाद : भाई-बहन के अटूट प्रेम व रिश्ते को बनाये रखने का त्योहार है, रक्षाबंधन. बहन अपने भाई की कलाई पर धागा रूपी राखी को बांध कर ताउम्र रक्षा की वचन लेती है और भाई की सलामती की दुआमांगती है. भाई कहीं भी हो, बहन राखी बांधने उसके चौखट तक पहुंच जाती है, लेकिन जब भाई की सलामती के लिए जा रही बहन किसी सदमे में पड़ जाये और उसका संसार लूट जाये, तो अचानक से खुशियां गम में तब्दील हो जाती हैं. ऐसी ही एक बहन जब अपने भाई को राखी बांधने की हसरत लिए जाने लगी, तो अचानक हुई दुर्घटना में उसके कलेजे का टुकड़ा यानी उसका मासूम बेटा काल के गाल में समा गया.

हुआ यह कि मदनपुर थाना क्षेत्र के दधपी गांव निवासी सुनील मेहता की पत्नी कौशल्या देवी अपने दो बच्चों खुशी और गोलू को लेकर मायके में अपने भाई को राखी बांधने के लिए ऑटो से बारुण थाना क्षेत्र के पोखराही गांव जा रही थी. तभी औरंगाबाद शहर से चंद दूरी पर जोगिया मोड़ के समीप एनएच दो पर अनियंत्रित होकर ऑटो पलट गया, जिसमें कौशल्या के पुत्र गोलू कुमार (7 साल) की मौत हो गयी और बेटी खुशी कुमारी घायल हो गयी. ऑटो पर सवार मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ओरा गांव निवासी कुंजबिहारी पासवान की पत्नी विनीता देवी और विनीता की दो बेटियां सुहानी एवं नंदनी भी घायल हो गयीं. पता चला कि विनीता भी अपने मायके बारुण थाने के सिंदुरिया गांव में भाई को राखी बांधने जा रही थी. सभी घायलों को नेशनल हाइवे के एंबुलेंस द्वारा सदर अस्पताल इलाज के लिए लाया गया, अस्पताल के डॉक्टरों ने दो बच्चों की हालत गंभीर बतायी है.

इधर, घटना के बाद सदर अस्पताल में कौशल्या और विनीता के परिजन रोते-बिलखते हुए पहुंचे और अपनी किस्मत का दोष बताया. भांजे की मौत की खबर सुन कर कौशल्या का भाई व मायके के अन्य परिजन भी पहुंचे, जिनकी हालत सदमे में बेकाबू हो चुकी थी. बेटे का शव देख कर मां की आंखें सूज गयी थी. पागलों की तरह कभी अपने परिजनों को ढूंढ़ती, तो कभी मृत बेटे को उठाने का प्रयास करती. उसके मुख से बस एक ही बात निकल रही थी कि काहेलाऽ आएल-हलऽ रक्षाबंधन, जे कलेजा के टुकड़े के उठा ले-गेल.

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