कुर्साकांटा काली मंदिर में एक सदी से हो रही पूजा
दीवाली पर होता है भक्ति जागरण का आयोजन
कुर्साकांटा. काली मंदिर कुर्साकांटा जहां लगभग एक सौ वर्षों से दीपावली के मौके पर प्रतिमा स्थापित कर भक्ति भाव से पूजा अर्चना की जा रही है. स्थानीय दिवंगत बुझावन साह ने सौ वर्ष पूर्व कच्ची घर में काली मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना शुरू की. जो कालांतर में तत्कालीन पूर्णिया के चंपानगर के राजा रामानंद सिंह की देखरेख में पूजा-अर्चना होती रही. लेकिन जब राजतंत्र खत्म हुआ तो स्थानीय लोगों के सहयोग से ऐसे तो प्रतिदिन पूजा-अर्चना होती है. लेकिन दिवाली के मौके पर विशेष रूप से पूजा अर्चना के साथ मेले का आयोजन किया जाता रहा है. आयोजक समिति के योगी साह ने बताया कि मंदिर के निर्माता बुझावन साह के बाद उसका पुत्र प्रयाग साह के नेतृत्व में घास फूस के मंदिर को हटाकर ईंट का दीवार के साथ ऊपर टीन का छत्ती में काली मां को स्थापित किया गया. लेकिन बाद में स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर को विस्तृत रूप दिया गया है. स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर का भव्य निर्माण किया गया. जिसमें विद्या की देवी मां सरस्वती, देवों के देव महादेव के साथ धन की देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना हो रही है. श्री साह ने बताया कि काली मंदिर परिसर में ही कृष्ण घड़ा भी है. जहां जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की स्थापना कर पूजा अर्चना के साथ मेला का आयोजन किया जाता है. श्री साह ने बताया कि मंदिर में बलि प्रदान करने की परंपरा जारी है. जिस भी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है तो श्रद्धालु बलि प्रदान कर मां काली को प्रसन्न करते हैं. इस वर्ष भी दीपावली पर भक्ति जागरण का आयोजन किया जा रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
