नहीं रहे जिले के आखिरी स्वतंत्रता सेनानी भृगु नाथ शर्मा

आइजीएमएस में इलाज के दौरान हृदय गति रुकने से निधन, राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

By MRIGENDRA MANI SINGH | April 8, 2025 11:13 PM

जोगबनी. जिले के आखिरी स्वतंत्रता सेनानी भृगु नाथ शर्मा के निधन के साथ हीं एक युग का अंत हो गया. उनके पोते संजय शर्मा ने बताया की सोमवार की रात 10:45 बजे आइजीएमएस में इलाज के दौरान हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया. उनके निधन की खबर सुनते ही उनके पैतृक गांव बघुआ सहित जिले में शोक की लहर छा गयी. जब उनके पार्थिव शरीर को पटना से सुबह बघुआ लाया गया तो उनके अंतिम दर्शन को लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. उनके अंतिम दर्शन को पहुंचे डीएम अनिल कुमार, एसपी अंजनी कुमार, एसडीएम शैलजा पांडेय व सीडीपीओ मुकेश साह ने उनके पार्थिव शरीर पर तिरंगा ओढ़ाया. वहीं इस अवसर पर उन्हें पुलिस जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. 1921 में जन्मे भृगु नाथ शर्मा 104 वर्ष की आयु में 07 अप्रैल 2025 को दुनिया को अलविदा कह गये. उन्हें मुखाग्नि उनके पोते प्रत्यूष कुमार उर्फ पुन्नू ने दी.

गांधीजी से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे भृगु नाथ शर्मा

संजय कुमार शर्मा ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने कई बार अंग्रेजों से लोहा लेने का कार्य किया. माहत्मा गांधी से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ कर उन्होंने हिस्सा लिया. फारबिसगंज में 1934 में महात्मा गांधी का दौरा हुआ था, उस दौरान बापू ने फारबिसगंज के द्विजदेनी मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित किया था. इसके बाद गांधी जी एक बार नरपतगंज के फुलकहा भी वे आये थे, यहां स्वतंत्रता सेनानी भृगु नाथ शर्मा गांधी जी के साथ थे व उनसे प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े. उस समय वे छात्र जीवन में ही थे. वहीं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भी जब फारबिसगंज आये थे उस दौरान भी वे उनके साथ थे.

छपरा के मूल निवासी होने के कारण राजेंद्र बाबू से था गहरा लगाव

संजय कुमार शर्मा ने बताया कि छपरा के मूल निवासी होने के कारण भृगु नाथ शर्मा का राजेंद्र बाबू से पारिवारिक संबंध था व उनका सानिध्य इन्हें प्राप्त था. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब फारबिसगंज के ढोलबज्जा में ट्रेन की पटरी उखाड़ने का आंदोलन शुरू हुआ था. उस आंदोलन में उन्होंने बढ़ चढ़ -कर हिस्सा लिया. अंग्रेज शासन काल में वे कई बार जेल भी गये. उन्होंने यह भी बताया कि नेपाल के कोइराला परिवार से भी स्वतंत्रता सेनानी का गहरा संबंध रहा था. उस समय जब अंग्रेजी हुकूमत की दबिश होती थी तो वे कोइराला परिवार के सुरक्षा घेरे में चले जाते थे. संजय कुमार ने यह भी बताया कि नेपाल में जब आंदोलन चल रहा था, उस समय कोइराला परिवार ने भी स्वतंत्रता सेनानी के गांव बघुआ पहुंचकर शरण ली थी.

दो बार राष्ट्रपति के हाथों हुए थे सम्मानित

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने स्वतंत्रता सेनानी भृगु नाथ शर्मा को दो बार राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया था. पहली बार इन्हें दिल्ली बुलाकर राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा गया था. उस समय बघुआ जाने आने के लिए परमान नदी का चचरी पुल ही एक मात्र साधन था. इस समस्या को स्वतंत्रता सेनानी ने सरकार के समक्ष रखा था. तत्कालीन जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा के समय इस गांव का कायाकल्प किये जाने की योजना बनी. भारत नेपाल सीमा विकास योजना के तहत भारत सरकार ने इस गांव को मॉडल गांव घोषित किया. अररिया जिला में एकमात्र गांव बघुआ मॉडल गांव घोषित हुआ.

गांव के विकास कार्यों की डीएम ने ली जानकारी

डीएम अनिल कुमार ने इस गांव के विकास की जो रूपरेखा पूर्व में खींची थी. उसकी जानकारी स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों से ली. उस समय विकास का जो कार्य बाकी रह गया था, उसे विकसित कैसे किया जाये, इस संबंध में डीएम ने जानकारी ली. उन्होंने बताया कि भृगु नाथ शर्मा जिले के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी थे. उनके पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गयी.

अधिकारी संग नेताओं ने किया अंतिम दर्शन

स्वतंत्रता सेनानी के पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए उनके शव को उनके पैतृक आवास बघुआ में रखा गया था. यहां उनके पार्थिव शरीर का दर्शन अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों ने किया. उनके अंतिम दर्शन करने वालों में स्थानीय विधायक विद्या सागर केशरी उर्फ मंचन केशरी, पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण मेहता, भाजपा जिला कोषाध्यक्ष रोहित यादव, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल सिन्हा, अनवर राज, राजेश गुप्ता, राजद नेता अविनाश आनंद, ई. आयुष अग्रवाल, वाहिद अंसारी, इजहार, गजेंद्र ठाकुर, प्रभात सिंह, पूर्व मुखिया किशन दास, मुन्ना मुखिया, खुशबू दुबे, मनोज सिंह, गुड्डू सिंह, हिमांशु सिंह, आजाद शत्रु अग्रवाल सहित जिले के अधिकारी व पुलिसकर्मी मौजूद थे.

स्वतंत्रता विरासत में नहीं, बल्कि अंग्रेजों से छीन कर मिली: सांसद

स्वतंत्र भारत के विकसित गाथा को सुनने व समझने की ललक हमेशा हीं भृगु नाथ शर्मा में रही. वे हमें सिखाते थे व यह बताते भी थे कि देश हमें यूं हीं नहीं मिला, कई बार लाठी खायी, तो कई बार जेल गये, कई साथियों की जान भी गयी. इसलिए स्वतंत्रता का अर्थ समझो, स्वतंत्रता विरासत में नहीं बल्कि अंग्रेजों से छीन कर ली गयी है. उक्त बातें सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने स्वतंत्रता सेनानी भृगु नाथ शर्मा के निधन की सूचना मिलने के बाद पत्रकारों से कही. उन्होंने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास की राह पर अग्रसर है, यह देख कर उन्हें खुशी होती होगी. हम अब उनकी यादों को सहेज कर ही आगे बढ़ेंगे. उनके निधन पर उन्हें शत शत नमन.

स्वतंत्रता सेनानी के निधन से हूं मर्माहम : मंत्री

स्वतंत्रता सेनानी भृगु नाथ शर्मा के निधन पर जिला आपदा एवं प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल ने शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी के निधन से मर्माहत हूं, कई बार उनसे मिलने का सौभाग्य मिला. अचानक से सूचना मिली तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन उनकी उम्र भी काफी हो चुकी थी, उनके निधन पर उनके परिजन यह समझें कि वे अमरत्व को प्राप्त कर इस लौकिक संसार से विदा हुए हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.

स्वतंत्रता सेनानी के निधन पर लोगों ने किया शोक व्यक्त

स्वतंत्रता सेनानी भृगुनाथ शर्मा के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों की कतार लगी रही. कुर्साकांटा प्रखंड प्रमुख रानी देवी, पूर्व प्रमुख सुशील कुमार सिंह, राजद नेता अविनाश आनंद, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आलोक भगत, रंधीर सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष संतोष सुराणा, भूपेंद्र नारायण सिंह, वाहिद अंसारी, रंजीत सिंह आदि ने उनको श्रद्धांजलि दी.

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