कश्मीर की बाढ़ में मारे गये बिहार के एक ही परिवार के पांच लोग

कश्‍मीर में आयी भीषण बाढ से वहां रहने वाले कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. कई बेघर हो गए तो कईयों ने अपनों को खो दिया. कश्मीर घाटी में आयी बाढ से हुई तबाही ने लोगों को भारी दुख-दर्द दिया है. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं बिहार के रहने वाले जितेंद्र साहा जो स्नैक्स […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 18, 2014 2:14 PM

कश्‍मीर में आयी भीषण बाढ से वहां रहने वाले कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. कई बेघर हो गए तो कईयों ने अपनों को खो दिया. कश्मीर घाटी में आयी बाढ से हुई तबाही ने लोगों को भारी दुख-दर्द दिया है. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं बिहार के रहने वाले जितेंद्र साहा जो स्नैक्स बेचकर अपनी रोजी रोटी चलाते थे.

बाढ उनके पूरे परिवार को लील गई. वह तीन मंजिला इमारत के मलबे में अपनी 20 वर्षीय बेटी के शव की तलाश कर रहे हैं.समूचे शहर को जलमग्न कर देने वाली बाढ ने उनकी पत्नी, तीन बेटियों और एक बेटे को हमेशा-हमेशा के लिए उनसे जुदा कर दिया. पिछले चार दिनों में साहा अपने परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं, लेकिन उनकी पत्नी और बडी बेटी के शव अब भी शहर के जवाहर नगर में एक मकान के मलबे के नीचे दबे हैं.

बीए द्वितीय वर्ष में पढने वाली अपनी बेटी प्रियंका को जीवन में बडा आदमी बनाने का साहा का सपना इस विपदा के साथ ही टूट गया. बिहार निवासी साहा अपने परिवार के साथ 2001 में श्रीनगर आए थे जहां वह एक अस्पताल के बाहर स्नैक्स बेचने का काम करने लगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं श्रीनगर में स्नैक्स बेचकर अपनी आजीविका चलाता था. मेरी बडी बेटी मेधावी छात्रा थी. वह अधिकारी बनना चाहती थी.’घटना वाले दिन साहा के हाथ में एक लकडी का तख्ता आ गया था जिससे उनकी जान बच गई, जबकि परिवार के शेष सदस्यों की मौत हो गई.

उन्होंने अपनी आंखों से अपने परिवार को मौत के मुंह में जाते देखा. अपने परिवार को खो देने के गम में साहा ने कहा ‘मैं सारी रात मदद के लिए चिल्लाता रहा. मैंने अपने जीवन में इस तरह की लाचारी कभी नहीं देखी. मुझे भी मर जाना चाहिए था. मैं जिन्दा क्यों हूं.’ साहा ने कहा, ‘ईश्वर मेरे प्रति इतना क्रूर हो गया. मेरा पूरा परिवार अब खत्म हो गया है. मैं बिहार में रहने वाली अपनी मां को कैसे बताउं कि उसका पूरा वंश अब खत्म हो गया है.’

Next Article

Exit mobile version