पांच साल की बच्ची की निर्मम हत्या के दोषी अब तक आजाद

पटना : शास्त्रीनगर थाने के एजी कॉलोनी में पांच साल की बच्ची पूजा कुमारी की अपराधियों ने उसके घर के समीप दिनदहाड़े तेज हथियार से गला रेत कर तीन साल पहले हत्या कर दी थी. इस बच्ची के गुनहगार अभी तक खुलेआम घूम रहे हैं. वह दृश्य लोग अभी भी नहीं भूले हैं कि लहूलुहान […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 22, 2018 4:04 AM
पटना : शास्त्रीनगर थाने के एजी कॉलोनी में पांच साल की बच्ची पूजा कुमारी की अपराधियों ने उसके घर के समीप दिनदहाड़े तेज हथियार से गला रेत कर तीन साल पहले हत्या कर दी थी. इस बच्ची के गुनहगार अभी तक खुलेआम घूम रहे हैं. वह दृश्य लोग अभी भी नहीं भूले हैं कि लहूलुहान बच्ची तड़पते हुए हाथ से अपने गले को दबाये हुए घर की ओर भागी, लेकिन बीच रास्ते में ही गिर पड़ी थी.
इसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी. यह घटना 2015 के जनवरी माह में हुई थी. आश्चर्य की बात यह है कि इस केस में किसी भी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हो पायी. इस केस को पटना पुलिस भुला चुकी है. कई दिनों तक इस केस में अनुसंधान चला लेकिन अंतत: इस केस की फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दी गयीं.
घर के बाहर खेल रही थी बच्ची, अपराधियों ने दिया था घटना को अंजाम : एजी कॉलोनी में एक छोटे से मकान में अल्लाह साव अपनी पत्नी बिंदिया देवी व सात बेटियों के साथ रहते थे. खुद वे छोटा-मोटा रोजगार करते थे. पूरे परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे. अल्लाह साव व उसकी पत्नी बिंदिया देवी अपने-अपने काम से बाहर गयी हुई थीं.
पूजा के दादा रामबाबू साव व भाई सूरज घर पर थे. जबकि अन्य बहनें स्कूल गयी हुई थीं. पूजा अपने घर से चंद कदमों की दूरी पर खेल रही थी. इसी बीच वह खून से लथपथ हालत में दौड़ती हुई आयी और अपने घर के दरवाजे पर गिर पड़ी. करीब सौ मीटर तक खून ही खून बिखरा पड़ा था.
मुहल्ले में तुरंत ही हल्ला हो गया और उसे इलाज के लिए पारस अस्पताल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया. घटना की जानकारी मिलने पर सिटी एसपी शिवदीप लांडे घटनास्थल पर पहुंचे. हर तरह से जांच की, लेकिन नतीजा सिफर रहा. उस मासूम बच्ची की किसने हत्या की यह किसी को पता नहीं चला.
आमतौर पर इस तरह की हत्या आपसी दुश्मनी की वजह से की जाती है. लेकिन यह भी नहीं पता चला कि आखिर पूजा या उसके परिजनों का दुश्मन कौन था? किसने पूजा की निर्मम हत्या की थी. इस केस को सुलझाने में पुलिस विफल रही. जैसे-जैसे बढ़ता गया, वैसे ही अनुसंधान की गति धीमी होती गयी.

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