लालू ने चरवाहा विद्यालय खुलवाया, तो चारा में फंसे, रेल मंत्री रहे, तो बन गये होटल घोटाले के आरोपित

पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं. उन्होंने साल 1991 में चरवाहा विद्यालय खुलवाया, तो दुनिया भर में इसकी बहुत प्रशंसा हुई. लेकिन, साल 1997 में वे चारा घोटाले में फंस गये. वहीं, साल 2004 में रेल मंत्री बनने के बाद चार साल में रेलवे को करीब दो खरब 50 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2017 8:00 AM
पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं. उन्होंने साल 1991 में चरवाहा विद्यालय खुलवाया, तो दुनिया भर में इसकी बहुत प्रशंसा हुई. लेकिन, साल 1997 में वे चारा घोटाले में फंस गये. वहीं, साल 2004 में रेल मंत्री बनने के बाद चार साल में रेलवे को करीब दो खरब 50 अरब रुपये का फायदा दिलवाने के लिये चर्चित रहे.

अब शुक्रवार को सीबीआइ ने उन पर और परिवार के सदस्यों सहित कुल आठ पर भ्रष्टाचार का एक नया केस दर्ज किया है. आरोप है कि रेल मंत्री रहने के दौरान साल 2006 में उन्होंने एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया. इस मामले में सीबीआइ ने उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव सहित आइआरसीटीसी के तत्कालीन एमडी पीके गोयल, प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सुजाता और अन्य पर केस दर्ज किया हैं. साथ ही शुक्रवार को दिल्ली, पटना, रांची, पुरी और गुरुग्राम सहित 12 स्थानों पर छापेमारी हुई. लालू पर आरोप है कि साल 2006 में रांची और पुरी के बीएनआर होटलों के विकास और संचालन के लिए टेंडर में अनियमितता की गयी. ये टेंडर सुजाता होटल्स को दिये गये थे. बीएनआर होटल रेलवे के हैरिटेज होटल हैं. इन्हें साल 2006 में आइआरसीटीसी ने अपने नियंत्रण में ले लिया था.
चारा घोटाले का आरोप: सीबीआइ की चार्जशीट के मुताबिक 950 करोड़ के चारा घोटाला (आरसी/20ए/96) मामले में लालू प्रसाद के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा सहित 45 आरोपित हैं. उन पर चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का आरोप है. 1997 में घोटाले के चलते लालू प्रसाद जेल गये और उन्हें मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा.
लालू पर छह मामले लंबित : चारा घोटाला में लालू यादव पर छह अलग-अलग मामले लंबित हैं. इनमें से एक में उन्हें पांच साल की सजा हो चुकी है. इस घोटाले से जुड़े 15 आरोपियों की मौत हो चुकी है, दो गवाह बन चुके हैं. एक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और एक को बरी किया जा चुका है. पांच अन्य मामले में सुनवाई रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत में चल रही है.
चारा घोटाला खुलासे का घटनाक्रम
जनवरी, 1996: उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की. बरामद दस्तावेजों से पता चला कि चारा आपूर्ति के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों की ओर से पैसे की हेराफेरी की गयी. उसके बाद यह चारा घोटाला सामने आया.
11 मार्च, 1996: पटना हाइकोर्ट ने सीबीआइ को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर मुहर लगायी.
27 मार्च, 1996: सीबीआइ ने चाईबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की.
23 जून, 1997: सीबीआइ ने आरोपपत्र दायर किया और लालू प्रसाद को आरोपित बनाया.
30 जुलाई, 1997: लालू प्रसाद ने सीबीआइ अदालत में आत्मसमर्पण किया. अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
05 अप्रैल, 2000: विशेष सीबीआइ अदालत में आरोप तय.
05 अक्तूबर, 2001: सुप्रीम कोर्ट ने नया राज्य झारखंड बनने के बाद मामला वहां स्थानांतरित कर दिया.
फरवरी, 2002: रांची की विशेष सीबीआइ अदालत में सुनवाई शुरू हुई.
13 अगस्त, 2013: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की लालू प्रसाद की मांग खारिज कर दी.
17 सितंबर, 2013: विशेष सीबीआइ अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
30 सितंबर, 2013: बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र के साथ 45 अन्य को सीबीआइ न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दोषी ठहराया.
03 अक्तूबर, 2013: सीबीआइ अदालत ने लालू यादव को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई, साथ ही उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी किया.
चरवाहा विद्यालय की दुनिया भर में हुई थी तारीफ: बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने दिसंबर 1991 में वैशाली जिले के गोरौल में देश का पहला चरवाहा विद्यालय खुलवाया था. गरीबों के बच्चों को शिक्षित करने की इस पहल की दुनिया भर में तारीफ हुई थी. लालू ने नारा दिया था, ओ गाय-भैंस चरानेवालों, पढ़ना-लिखना सीखो. यूनिसेफ ने इसकी सराहना की. ट्राइसेम, इंदिरा आवास योजना, आइआरडीपी-आरएलजीइपी और आइसीडीएस योजनाओं के तहत इसे सहयोग मिलना तय हुआ. बाद में यह योजना दरकिनार कर दी गयी.