क्रिकेट प्रशासन में उतरे ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र, 29 साल के महानआर्यमन सिंधिया बने MPCA के सबसे युवा अध्यक्ष

Mahanaryaman Scindia: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महान आर्यमन सिंधिया ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया. वे इस संघ के अब तक के सबसे युवा अध्यक्ष बने हैं. उनसे पहले उनके पिता और दादा भी इस पद पर रह चुके हैं.

By Anant Narayan Shukla | September 2, 2025 3:28 PM

Mahanaryaman Scindia: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महानआर्यमन सिंधिया ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया. जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकताओं में ग्रामीण अंचल से आने वाले युवा खिलाड़ियों और महिला क्रिकेटरों को प्रोत्साहन देना शामिल होगा. इस बार एमपीसीए चुनावों में अध्यक्ष समेत पूरी कार्यकारिणी निर्विरोध चुनी गई और सभी पद सर्वसम्मति से तय हुए. महानआर्यमन से पहले उनके पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दादा माधवराव सिंधिया भी इस पद पर रह चुके हैं.

इंदौर के होलकर स्टेडियम में आयोजित एमपीसीए की वार्षिक साधारण सभा (एजीएम) में नवनिर्वाचित कार्यकारिणी पर अंतिम मुहर लग गई. महानआर्यमन (29) ने वर्ष 1957 में स्थापित एमपीसीए के इतिहास के सबसे युवा अध्यक्ष के रूप में इस संगठन की बागडोर संभाली है. एमपीसीए अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद महानआर्यमन ने संवाददाताओं से कहा,‘‘यह मेरे लिए बेहद भावुक पल है क्योंकि मेरे दिवंगत दादा माधवराव सिंधिया और मेरे पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी एमपीसीए अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली है. मैं खुश हूं कि एमपीसीए परिवार ने मुझ पर भी इस जिम्मेदारी के लिए भरोसा जताया है.’’ 

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एमपीसीए चुनावों में निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने के बारे में पूछे जाने पर ग्वालियर के पूर्व राजघराने के 29 वर्षीय वंशज ने कहा,‘‘यह एक उदाहरण है कि एमपीसीए ऐसा परिवार है जो सर्वसम्मति से निर्णय लेता है. एमपीसीए देश का इकलौता राज्य क्रिकेट संघ है जहां पारिवारिक माहौल में चुनाव होते हैं.’’ उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं गिनाते हुए कहा कि वह सूबे में क्रिकेट को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के युवा खिलाड़ियों और महिला खिलाड़ियों को बढ़ावा देंगे. 

जीतने के बाद मंदिर पहुंचे महानआर्यमन

एमपीसीए की एजीएम में शामिल होने से पहले, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे महानआर्यमन के साथ शहर के खजराना गणेश मंदिर पहुंचे और गणेशोत्सव के दौरान दर्शन किए. एमपीसीए के नये अध्यक्ष महानआर्यमन की सक्रियता क्रिकेट के गलियारों में गुजरे तीन सालों में लगातार बढ़ती देखी गई है. वह 2022 में जीडीसीए के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए थे. उन्हें 2022 में ही एमपीसीए का आजीवन सदस्य बनाया गया था. 

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एमपीसीए की नई कार्यकारिणी के अन्य सदस्य

वहीं एमपीसीए की नई कार्यकारिणी में विनीत सेठिया को उपाध्यक्ष, सुधीर असनानी को सचिव, अरुंधति किरकिरे को संयुक्त सचिव और संजीव दुआ कोषाध्यक्ष चुना गया है. प्रबंध समिति में इस बार संध्या अग्रवाल, प्रसून कनमड़ीकर, राजीव रिसोड़कर और विजेश राणा को शामिल किया गया है. वहीं क्रिकेट समिति में प्रदीप बनर्जी, रमणीक पटेल और अभय लघाटे को जिम्मेदारी सौंपी गई है. वहीं महानआर्यमन ने अभिलाष खांडेकर की जगह ली है.

2024 में की एमपीएल की शुरुआत

महानआर्यमन सूबे की टी20 क्रिकेट लीग मध्यप्रदेश लीग (एमपीएल) के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने 2024 में अपने गृहनगर ग्वालियर से एमपीएल की शुरुआत की थी. सिंधिया परिवार लम्बे वक्त से सूबे के क्रिकेट प्रशासन में है और एमपीसीए पर इस परिवार का पिछले कई दशकों से वर्चस्व बरकरार है. मध्यप्रदेश सरकार के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एमपीसीए में सिंधिया परिवार के वर्चस्व को 15 साल पहले चुनौती दी थी. 

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कैलाश विजयवर्गीय से हुई थी सीधी भिड़ंत

एमपीसीए के वर्ष 2010 के चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय के बीच सीधी भिड़ंत हुई थी. भारी खींचतान के बीच हुए इन चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एमपीसीए अध्यक्ष पद पर विजयवर्गीय को 70 वोटों से हराया था. इन चुनावों में शक्तिशाली सिंधिया खेमे ने नये-नवेले विजयवर्गीय गुट का सूपड़ा साफ करते हुए कार्यकारिणी के सभी प्रमुख पदों पर कब्जा जमाया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया उस वक्त केंद्र की कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री थे, जबकि विजयवर्गीय प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में इसी विभाग के काबीना मंत्री का ओहदा संभाल रहे थे. 

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लोढ़ा समिति की सिफारिशों के चलते छोड़ना पड़ा पद

लोढ़ा समिति की सिफारिशों के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया और संजय जगदाले सरीखे वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासकों को एमपीसीए के अपने अहम ओहदे जनवरी 2017 में छोड़ने पड़े थे क्योंकि तब दोनों को इस संगठन की प्रबंध समिति के अलग-अलग पदों पर रहते नौ साल से अधिक का समय हो गया था. नतीजतन वे लोढ़ा समिति की सिफारिशों के मुताबिक इस संगठन में पद संभालने के लिए अपात्र हो गए थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2020 के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. एमपीसीए में कैलाश विजयवर्गीय गुट और ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे की खींचतान पहले ही खत्म हो चुकी है. 

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