आज रात पाकिस्तान और जिंबाब्वे का मुकाबला, सुरक्षा कड़ी

पाकिस्तान के क्रिकेट जगत का सुखाड़ पूरे छह साल बाद समाप्त होने वाला है. आज शाम पाकिस्तान के लाहौर में पाकिस्तान और जिंबाब्वे के बीच मैच खेला जायेगा. यह मैच खेल के दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण है ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह मैच मायने रखता है. जिंबाब्वे की टीम ने पाकिस्तान आकर क्रिकेट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2015 12:01 PM

पाकिस्तान के क्रिकेट जगत का सुखाड़ पूरे छह साल बाद समाप्त होने वाला है. आज शाम पाकिस्तान के लाहौर में पाकिस्तान और जिंबाब्वे के बीच मैच खेला जायेगा. यह मैच खेल के दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण है ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह मैच मायने रखता है. जिंबाब्वे की टीम ने पाकिस्तान आकर क्रिकेट खेलने का जो फैसला किया है, उसमें काफी रिस्क है, क्योंकि यहां आतंवकवादी हमले का खतरा है. अब देखना यह है कि इतने वर्षों बाद जो टीम पाकिस्तान आकर क्रिकेट खेलने की पहल कर चुकी है, उसे वहां कितना सम्मान और सुरक्षा पाकिस्तान की सरकार दे पाती है.

आखिर क्यों जिंबाब्वे ने पाकिस्तान आकर खेलने का खतरा उठाया है
इस बात से सभी वाकिफ हैं कि पाकिस्तान में खेलना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि तीन मार्च 2009 को लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम के बाहर श्रीलंका की टीम बस पर 12 अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला कर दिया था, जिसमेंश्रीलंका के छह खिलाड़ी घायल हुए थे और छह पाकिस्तानी पुलिस के जवान सहित दो आम लोग भी मारे गये थे. इस घटना के बाद किसी भी टीम ने पाकिस्तान जाकर खेलने का खतरा नहीं उठाया. जिस भी टीम ने पाकिस्तान के साथ खेल संबंध रखे, उनके साथ मैच खेलने के लिए पाकिस्तान ने यूएई के ग्राउंड को चुना.

इस परिस्थिति में जिंबाब्वे का निर्णय दिलेरी भरा तो है ही, उनकी जरूरत को भी दर्शाता है. इंटरनेशनल प्लेयर एसोसिएशन नेजिंबाब्वे की टीम को आगाह भी किया था कि उनके लिए पाकिस्तान में जाकर खेलना खतरों से खेलनेके बराबर है. बावजूद इसके जिंबाब्वे की टीम वहां गयी है, तो इसका कारण यह है कि वहां का क्रिकेट बोर्ड अपने खिलाड़ियों को अधिक से अधिक क्रिकेट खेलाना चाहता है, ताकि वहां क्रिकेट की मौत ना हो. जिंबाब्वे जैसी टीम को क्रिकेट खेलने का मौका कम मिलता है, जिसके कारण वे बस विश्वकप में ही अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड भी अपने देश में क्रिकेट को पुनर्जीवित करना चाहता है
जिंबाब्वे की टीम को अपने देश में खेलने का आमंत्रण देकर पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड अपने देश में क्रिकेट को जिंदा रखने की कोशिश कर रहा है. इसी क्रम में पीसीबी के अध्यक्ष शहरयार खान भारत आकर सरकार के सामने खेल संबंध बहाल करने की गुजारिश की है. जिसके लिए भारत सरकार ने अपनी सहमति भी दी है और बहुत संभव है कि दिसंबर माह में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच का आयोजन हो. इस परिदृश्य में पाकिस्तान की यह जरूरत है कि वह अपने देश में क्रिकेट खेलने आयी टीम को पूरी सुरक्षा मुहैया कराये.

अगर यह श्रृंखला, जिसमें दो टी-20 और तीन एकदिवसीय मैच खेले जाने हैं, सफल रही, तो अन्य देश भी पाकिस्तान आकर खेलने को राजी हो जायेगी और एक बार फिर पाकिस्तान में क्रिकेट जीवित होगा. पाकिस्तान के कप्तान शाहिद अफरीदी ने यह बयान भी दिया है कि जिंबाब्वे का अनुकरण अन्य देश भी करेंगे. इस मैच का आनंद उठाने के लिए पीसीबी ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी निमंत्रण भेजा है.