15 साल बाद सचिन तेंदुलकर ने निभाया वादा, पूर्व साथी क्रिकेटर के लिए किया यह काम
Sachin Tendulkar: सचिन तेंदुलकर क्रिकेट जगत के एक महान खिलाड़ी हैं, न केवल बल्ले से अपने शानदार प्रदर्शन के लिए बल्कि मैदान पर और मैदान के बाहर अपने विनम्र स्वभाव के लिए भी. उनके खेल के दिनों से लेकर मैदान के बाहर के उनके व्यवहार के कई उदाहरण यह दर्शाते हैं कि तेंदुलकर कितने अच्छे और प्रेरणादायक व्यक्तित्व रहे हैं. हाल ही में एक बातचीत में, क्रिकेट के इस दिग्गज ने खुद खुलासा किया कि कैसे उन्होंने अपने एक पूर्व साथी खिलाड़ी से किया वादा 15 साल बाद पूरा किया.
Sachin Tendulkar: सचिन तेंदुलकर का भारतीय क्रिकेटर के रूप में करियर पच्चीस साल तक चला, लेकिन क्रिकेटर बनने से पहले भी कुछ लोगों ने युवा सचिन को भारतीय क्रिकेट का मास्टर ब्लास्टर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्रोफेसर रमेश तेंदुलकर ने यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई कि तेंदुलकर का पालन-पोषण सर्वोत्तम तरीके से हो, और उनके कोच रमाकांत अचरेकर ने इस अनमोल हीरे को तराशा. इसके अलावा, सुनील गावस्कर और विव रिचर्ड्स जैसे खिलाड़ियों का तेंदुलकर पर सबसे बड़ा प्रभाव रहा, साथ ही कपिल देव की 1983 विश्व कप विजेता टीम का भी, जिसने मुंबई के बांद्रा में रहने वाले 10 वर्षीय सचिन के मन में भारत के लिए खेलने की आग जला दी. अब एक और नाम सामने आया है, जिसने सचिन को महान बनाने की शुरुआत की. वह नाम पूर्व क्रिकेटर गुरशरण सिंह का है, जिनसे किया गया वादा सचिन ने 15 साल बाद निभाया. 15 years later Sachin Tendulkar fulfilled his promise doing this for former teammate
सचिन ने याद की कई साल पुरानी बात
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान तेंदुलकर ने एक घटना को याद किया, जिसमें उनके साथी खिलाड़ी गुरशरण सिंह के निस्वार्थ कार्य के कारण उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली. तेंदुलकर ने नवंबर 1989 में भारत के लिए डेब्यू किया था और हालांकि उन्होंने एक युवा खिलाड़ी के रूप में भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए सब कुछ हासिल कर लिया था, लेकिन एक अंतिम परीक्षा बाकी थी. ईरानी कप में ‘रेस्ट ऑफ इंडिया’ का प्रतिनिधित्व करते हुए, सचिन 85 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे जब नौवां विकेट गिर गया. उनके बाद उप-कप्तान गुरशरण सिंह बल्लेबाजी करने आए थे, जो पहली पारी में लगी उंगली की चोट के कारण बल्लेबाजी नहीं कर सके थे, लेकिन स्वर्गीय राज सिंह डूंगरपुर के आग्रह पर उन्होंने बल्लेबाजी की.
ट्रायल मैच में सचिन को मिली थी बड़ी मदद
सचिन ने बताया, ‘वह भारतीय टीम के लिए मेरा ट्रायल मैच था. गुरशरण को बल्लेबाजी नहीं करनी थी, लेकिन उन्होंने राज सिंह की बात मानी और बल्लेबाजी करने आए और अंततः मुझे अपना शतक पूरा करने में मदद की. उसके बाद मेरा चयन भारत के लिए हो गया. बाद में, गुरशरण भी भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने. मैंने वहां उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा किया, क्योंकि टूटे हुए हाथ के साथ मैदान पर आना उनके लिए बहुत बड़ी बात थी. उनका इरादा, उनका रवैया मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता था. इसने मेरे दिल को छू लिया.’
जब तेंदुलकर ने निभाया अपना वादा
उस पारी ने कुछ महीनों बाद तेंदुलकर की भारतीय टीम में इंट्री हुई, लेकिन खेल के दिग्गज बनने के बावजूद, गुरशरण का वह भाव उनके मन में हमेशा बसा रहा. वर्षों बाद, जब तेंदुलकर को फिर से टीम में शामिल होने का मौका मिला, तो उन्होंने 2005 में बड़े ही शानदार अंदाज में वापसी की. अपने वादे के बारे में बताते हुए सचिन ने कहा, ‘उन दिनों, रिटायरमेंट लेने वाले क्रिकेटरों के लिए चैरिटी मैच आयोजित किए जाते थे. इसलिए मैंने न्यूजीलैंड में उनसे कहा कि गुशी, एक दिन तो आपको भी रिटायर होना ही पड़ेगा. आप जीवन भर तो नहीं खेल सकते, लेकिन जिस दिन आप रिटायर होंगे और आपको चैरिटी मैच मिलेगा, मैं वादा करता हूं कि मैं जरूर खेलने आऊंगा. और मुझे खुशी है कि मुझे उनका मैच खेलने का मौका मिला.’
सचिन ने आगे कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि गुशी, मैंने न्यूजीलैंड में (1990 में) आपसे वादा किया था कि मैं आपके चैरिटी मैच में खेलूंगा और 15 साल बाद, अब जब आपने चैरिटी मैच की मेजबानी करने का फैसला किया है, तो मैं निश्चित रूप से आऊंगा और खेलूंगा. ये यादें आज भी मेरे साथ हैं और आज, मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने जो भी वादा किया, उसे पूरा किया.’
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