वैज्ञानिकों ने बनाई ऐसी तकनीक, कम कीमत में बन सकेंगे बेहतरीन क्रिकेट बल्ले

नयी दिल्ली : विराट कोहली, इयॉन मॉर्गन या स्टीव स्मिथ बनने की ख्वाहिश पाले लाखों बच्चे महज इसलिए अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास बेहतर बल्ले नहीं होते. पर अब वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकाल लिया है. उन्होंने कम्प्यूटर की मदद से विश्व का सर्वश्रेष्ठ, मगर बेहद सस्ता बल्ला बनाने का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 17, 2019 10:32 PM

नयी दिल्ली : विराट कोहली, इयॉन मॉर्गन या स्टीव स्मिथ बनने की ख्वाहिश पाले लाखों बच्चे महज इसलिए अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास बेहतर बल्ले नहीं होते.

पर अब वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकाल लिया है. उन्होंने कम्प्यूटर की मदद से विश्व का सर्वश्रेष्ठ, मगर बेहद सस्ता बल्ला बनाने का उपाय खोज लिया है. कनाडा की ब्रिटिश कोलम्बिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एल्गोरिदम विकसित किया है जिसकी मदद से बल्ले की ज्यामिति यानी आकार प्रकार को उन्नत किया गया है और इससे खिलाड़ियों को अधिक आसानी से गेंद पर करारा प्रहार करने में मदद मिलेगी.

उच्च क्षमता वाला यह ‘एल्गोबैट’ बाजार में उपलब्ध बेहतरीन बल्ले की तरह है, मगर दाम बहुत कम है. परियोजना के प्रमुख और प्रतिष्ठित प्रोफेसर फिल इवांस ने पाया कि दुनिया में करीब दस लाख लोग क्रिकेट खेलने खेलते हैं और ढाई अरब की आबादी इसे देखती है जिसकी वजह से क्रिकेट, फुटबॉल के बाद लोगों का सबसे पसंदीदा खेल बन गया है.

इवांस ने एक बयान में कहा कि जो बच्चे इस खेल में अच्छा करना चाहते हैं, उनके आगे बढ़ने में बढ़िया बल्ले की कीमत बहुत बड़ी चुनौती है. ऐसे बच्चों के लिए एल्गोबैट एक ऐसा तरीका हो सकता है जिसकी मदद से वे अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं और गेंद को मैदान से बाहर का रास्ता दिखा सकेंगे.

विलो की लकड़ी से बढ़िया गुणवत्ता के जो बल्ले बनते हैं उनकी कीमत सैकड़ों में ही नहीं कई बार हजारों डॉलर के पार तक चली जाती है. पर अब ऐसा बल्ला महज 30-40 डॉलर में एक उभरते सितारे के पास हो सकेगा और क्रिकेट की दुनिया को दूसरे तेंदुलकर, गावस्कर मिल सकेंगे.

एल्गोरिदम को लिखने वाले पीएचडी स्कॉलर सदेग मजलूमी ने ईमेल से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि उन्होंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए बैट की कम्प्यूटर मॉडलिंग और ऑप्टीमाईजेशन एल्गोरिदम का प्रयोग किया. इस तरह बने बल्ले को बाजार में आने में आने में अभी वक्त है.

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