क्यों नहीं लेतीं महिलाएं अपने पति का नाम? जानिए इसके पीछे का धार्मिक कारण
why indian wife don't take husband's name: भारत में कई पारंपरिक मान्यताएं आज भी जीवनशैली का हिस्सा हैं. ऐसी ही एक प्रथा है जिसमें महिलाएं अपने पति का नाम नहीं लेतीं. इसके पीछे सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक कारण भी हैं, जो सम्मान, मर्यादा और परंपरा से जुड़े हुए हैं.
Why indian wife don’t take husband’s name: भारतीय संस्कृति में विवाह के बाद महिलाएं अक्सर अपने पति का नाम सीधे नहीं लेतीं, और यह परंपरा सदियों पुरानी है. इसका संबंध केवल धार्मिक मान्यताओं से नहीं, बल्कि सामाजिक मर्यादा, पारिवारिक अनुशासन और भावनात्मक सम्मान से भी जुड़ा हुआ है.
धार्मिक दृष्टिकोण से, हिंदू धर्म में पति को “पति-परमेश्वर” माना गया है. ऐसा विश्वास है कि वह पत्नी के जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का पथप्रदर्शक होता है. ऐसे में पति का नाम सीधे लेना, भगवान का नाम साधारण रूप में लेने जैसा समझा जाता है, जो कि अशिष्टता या अनादर का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, पत्नी सम्मानपूर्वक पति को उच्च स्थान देते हुए “स्वामी”, “नाथ”, “आर्यपुत्र” जैसे संबोधनों का उपयोग करती है.
पौराणिक संदर्भों में भी हमें ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं जहाँ पत्नियाँ अपने पति का नाम नहीं लेतीं, बल्कि उन्हें आदर से संबोधित करती हैं. यह परंपरा धीरे-धीरे सामाजिक व्यवहार का हिस्सा बन गई.
सांस्कृतिक स्तर पर, यह परंपरा पति के प्रति सम्मान और परिवार के अनुशासन का प्रतीक मानी जाती है. विशेष रूप से पारंपरिक या ग्रामीण परिवारों में आज भी पत्नी का पति के नाम का प्रयोग सार्वजनिक रूप से न करना सम्मानजनक व्यवहार माना जाता है.
हालांकि, आधुनिक समाज में इस सोच में बदलाव आ रहा है.शिक्षित और शहरी महिलाओं के लिए अब पति का नाम लेना सामान्य संवाद का हिस्सा है और इसे किसी भी तरह की असम्मानजनक बात नहीं माना जाता.
निष्कर्षतः, पति का नाम न लेना एक सांस्कृतिक परंपरा है, न कि कोई कठोर नियम. यह एक व्यक्तिगत और पारिवारिक निर्णय है, जिसे निभाना या न निभाना आज की स्त्री की स्वतंत्रता और सोच पर निर्भर करता है.
