Premanand Ji Maharaj: मेहनत और कष्ट से कमाए गए धन को कोई हड़प ले तो क्या करें? प्रेमानंद महाराज ने बताया समाधान

Premanand Ji Maharaj: मेहनत और परिश्रम से कमाए गए धन को जब कोई दूसरा व्यक्ति लूटकर चला जाता है, तो बहुत दुख होता है. जिस इंसान ने ऐसा किया होता है, उसके प्रति मन में घृणा और क्रोध भर जाता है. इससे अधिकतर समय स्वयं को ही कष्ट होता है. प्रेमानंद महाराज ने ऐसी परिस्थिति में लोगों को क्या करना चाहिए, इसका एक सरल उपाय बताया है.

By Neha Kumari | December 16, 2025 11:22 AM

Premanand Ji Maharaj: हर इंसान दिन-रात मेहनत करके धन कमाता है, ताकि वह खुद और अपने परिवार को एक अच्छी व आरामदायक जिंदगी दे सके. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हमारे कठोर परिश्रम से कमाए हुए धन को कोई दूसरा व्यक्ति हड़प लेता है, यानी बेईमानी से लूटकर ले जाता है. इससे लोगों को बहुत कष्ट होता है. मन में बुरे विचार आने लगते हैं और मन विचलित रहने लगता है.

कई बार तो लोग दिनभर अपने लुटे हुए धन के बारे में सोचते रहते हैं और मानसिक तनाव में चले जाते हैं. ऐसे में समझ नहीं आता कि क्या करना चाहिए. इन विचारों से कैसे बाहर निकलें? नई शुरुआत कैसे करें? जिन्होंने हमारे साथ ऐसा किया, उनके साथ क्या व्यवहार किया जाए? क्या ऐसे लोगों को माफ कर देना चाहिए या हमें भी उनकी तरह व्यवहार करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए समाधान में मिलते हैं.

हमारा धन कोई हड़प ले तो क्या करना चाहिए?

प्रेमानंद महाराज से एक व्यक्ति ने सवाल करते हुए कहा, “महाराज, जब हमारे मेहनत से कमाए धन को कोई हड़प लेता है, तो उन लोगों से हमारा मन खराब हो जाता है. इस समस्या से कैसे निपटा जाए?”

इस पर प्रेमानंद महाराज ने बड़े सहज भाव से उत्तर देते हुए कहा, “क्या पता आपने पूर्व जन्म में या पहले कभी उनके साथ बेईमानी की हो और आज उसी कर्म का फल आपको मिल रहा हो.”

कर्मों का फल कभी नष्ट नहीं होता

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जब हमारे साथ कोई बेईमानी करता है, तो उसके पीछे हमारे ही पुराने कर्म होते हैं. कर्मों का फल कभी नष्ट नहीं होता. वह कभी संतान बनकर, कभी रिश्तेदार बनकर, कभी सहयोगी या मित्र बनकर हमारे जीवन में आता है और ऐसे कार्य करता है, जिससे हमें हानि होती है. इस तरह वे हमें हमारे कर्मों की सजा देते हैं.

जो हमारा है, उसे हमसे कोई नहीं छीन सकता

आगे प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि ऐसे लोगों से बैर, दुश्मनी या झगड़ा नहीं करना चाहिए और न ही बदला लेना चाहिए, क्योंकि इससे हम एक नया बुरा कर्म बना लेते हैं. हमें भगवान का नाम लेकर आगे बढ़ जाना चाहिए.वे कहते हैं कि जो हमारे हक का है, उसे कोई नहीं छीन सकता और जो हमसे छिन गया, वह वास्तव में हमारा था ही नहीं. संभव है कि हमने पूर्व में वह चीज किसी से ली हो, इसलिए आज वह अपनी चीज वापस ले रहा है.

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