Vinayak Chaturthi 2025: आज नवरात्रि के चौथे दिन करें भगवान गणेश की पूजा, विनायक चतुर्थी के व्रत रखने से मिलेगा ये शुभफल
Vinayak Chaturthi 2025: नवरात्रि 2025 के चौथे दिन विनायक चतुर्थी का पावन पर्व भी मनाया जा रहा है. इस शुभ संयोग में भगवान गणेश की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है. मान्यता है कि चतुर्थी व्रत करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख, समृद्धि तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
Vinayak Chaturthi 2025: नवरात्रि का पावन अवसर स्वयं में ही अत्यंत शुभ माना जाता है. वर्ष 2025 में इस महापर्व की विशेषता और बढ़ जाती है क्योंकि नवरात्रि के चौथे दिन ही विनायक चतुर्थी का पर्व भी मनाया जाएगा. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, प्रथम पूज्य और मंगलकारी देवता कहा जाता है. जब उनकी आराधना नवरात्रि के बीच होती है, तो यह संयोग साधकों के लिए और भी अधिक फलदायी तथा पुण्यप्रद हो जाता है.
विनायक चतुर्थी 2025 के शुभ योग
इस वर्ष की विनायक चतुर्थी पर दो विशेष योग बन रहे हैं— रवि योग और भद्रावास योग. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रवि योग उस समय बनता है जब चंद्रमा किसी विशेष नक्षत्र में रहकर सूर्य से विशेष संबंध स्थापित करता है. इस योग में किए गए कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है और पूजा-पाठ का पुण्य कई गुना हो जाता है. इसके साथ ही भद्रावास योग का प्रभाव भी रहेगा, जो विशेष रूप से संध्या काल तक अधिक प्रभावशाली माना गया है. शाम 8:18 बजे तक इस योग की शुभता चरम पर होगी. मान्यता है कि इस समय भगवान गणेश की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सुख, सौभाग्य एवं समृद्धि का आगमन होता है.
चतुर्थी तिथि और पूजा का समय
इस वर्ष चतुर्थी तिथि का आरंभ 25 सितंबर को प्रातः 7:06 बजे होगा और यह अगले दिन 26 सितंबर को सुबह 9:33 बजे तक चलेगी. व्रत और पूजा तिथि के प्रारंभ के अनुसार ही की जाती है, इसलिए विनायक चतुर्थी का पर्व 25 सितंबर 2025 को ही मनाया जाएगा. इस दिन व्रती लोग प्रातः स्नान कर संकल्प लेते हैं और दिनभर उपवास रखते हैं. चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है. इस बार चंद्रोदय रात 8:58 बजे और चंद्रास्त 8:08 बजे होगा, अतः पूजा और अर्घ्य का समय इसी आधार पर निश्चित किया जाएगा.
यह भी पढ़ें: नवरात्रि के चौथे दिन करें कूष्मांडा माता की पूजा, यहां देखें पूजा विधि
विशेष मुहूर्त
- सूर्योदय: सुबह 6:10
- सूर्यास्त: शाम 6:14
- ब्रह्म मुहूर्त: 4:35 से 5:22 (ध्यान और जप के लिए श्रेष्ठ समय)
- विजय मुहूर्त: 2:12 से 3:01 (नई शुरुआत और सफलता के लिए उत्तम)
- गोधूलि मुहूर्त: 6:14 से 6:38 (संध्याकालीन पूजा हेतु शुभ)
- निशिता मुहूर्त: 11:48 से 12:36 (रात्रि पूजा के लिए प्रभावी)
विनायक चतुर्थी की पूजा का महत्व
विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी विघ्न और कष्ट दूर होते हैं. इस दिन उन्हें दूर्वा, मोदक, लड्डू और सिंदूर अर्पित करने का विशेष महत्व है. व्रत कथा का श्रवण और गणेश मंत्रों का जाप करने से व्रत पूर्ण होता है. परंपरा के अनुसार, इस दिन गणेश जी के साथ-साथ माता पार्वती, भगवान शिव और संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करने से परिवार में शांति, एकता और समृद्धि बनी रहती है.
विनायक चतुर्थी पर दुर्लभ अवसर का महत्व
नवरात्रि में देवी दुर्गा की उपासना और विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की आराधना का संगम भक्तों को साधना का संपूर्ण फल देता है. गणपति सभी कार्यों में प्रथम पूज्य माने जाते हैं, इसलिए नवरात्रि के इस विशेष दिन उनकी पूजा साधकों के लिए दोगुना मंगलकारी बन जाती है. जब रवि योग और भद्रावास योग जैसे शुभ संयोग भी साथ हों, तो यह अवसर अत्यंत दुर्लभ और फलप्रद माना जाता है.
यह दिन उन भक्तों के लिए विशेष है जो जीवन में नई शुरुआत करना चाहते हैं या घर-परिवार में सुख-शांति की स्थापना की आकांक्षा रखते हैं. श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई पूजा निश्चय ही सभी प्रकार के शुभ फल प्रदान करती है.
