Shaniwar Puja Upay: शनिवार को शाम के समय पीपल पेड़ के नीचे जलाएं सरसों तेल का दीया, दूर होगी हर परेशानी

Shaniwar Puja Upay: शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करने से शनिदोष दूर होता है. आर्थिक समस्या का भी समाधान होता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2022 4:16 PM

Shaniwar Puja Upay: शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है. पीपल के पेड़ को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि पीपल में देवताओं का वास होता है और शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है. मान्यताओं के अनुसार, पीपल के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और शीर्ष में शिव जी निवास करते हैं. शाखाओं, पत्तों और फलों में सभी देवताओं का निवास होता है. शनिवार के दिन सुबह पीपल के पेड़ में जल अर्पित करने और परिक्रमा करने से मन को शांति मिलती है. जानें पूजा विधि, दोष निवारण उपाय.

पीपल के पेड़ की पूजा करने से दूर होती है आर्थिक परेशानी

शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा मुख्यरूप से शनि दोष को दूर करने के लिए की जाती है. कहते हैं कि पीपल के पेड़ की पूजा से शनि देव प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही आर्थिक परेशानियां भी दूर होती हैं. यदि आप भी आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे हैं तो शनिवार को ये उपाय कर सकते हैं.

शनिदेव का प्रसन्न करने के लिए: शनिवार की शाम को शनिदेव की विधि-विधान करने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. अब पीपल के कुछ पत्तों को घर ले आएं और इन्हें गंगाजल से धो लें. अब पानी में हल्दी मिलाकर एक गाढ़ा घोल तैयार कर लें. इसके बाद दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से इस घोल को पीपल के पर ह्रीं लिखें. ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं.

शनि पीड़ा निवारण के लिए : पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल के दीपक हर शनिवार को जलाना चाहिए. इसके बाद वृक्ष की नौ बार परिक्रमा करें. “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करना चाहिए.

हर शनिवार को पत्ता बदल दें : ज्योतिष के अनुसार पूजा के बाद पीपल के पत्तों को अपने पर्स या तिजोरी में रखना देना चाहिए. हर शनिवार को पुराने पत्ते को किसी मंदिर में चढ़ा देना चाहिए और विधि-विधान से पूजन के बाद नया पत्ता फिर से पर्स या तिजोरी में रखना चाहिए.

शनि की समस्याएं दूर होती हैं : पीपल वृक्ष की पूजा करने से अल्पायु का योग है समाप्त होता है. अगर रोग और लम्बी बीमारी का योग है तो वह भी दूर हो जाता है. वंश वृद्धि की समस्या और संतान की समस्याएं दूर हो जाती हैं.

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