Operation Sindoor के बाद जानें, मांग का सिंदूर क्यों है स्त्री की शक्ति का चिन्ह
Operation Sindoor: बीते रात 6 मई 2025 को भारतीय सेना द्वारा किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने न केवल एक सैन्य विजय हासिल की, बल्कि एक सांस्कृतिक चर्चा भी प्रारंभ की. सिंदूर—जो आमतौर पर विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा अपनी मांग में लगाया जाता है—अब देशभक्ति, प्रतिशोध और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बन गया है. इस संदर्भ में यह जानना दिलचस्प है कि हिंदू महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती हैं, और यह परंपरा किस देवी से संबंधित है.
Operation Sindoor: बीते रात 6 मई 2025 को जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संचालन किया, तो यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीक भी था. ‘सिंदूर’ शब्द ने पूरे अभियान को एक ऐसा नाम प्रदान किया, जिसमें विश्वास, परंपरा और राष्ट्र की शक्ति का समावेश था. आइए समझते हैं कि सिंदूर का धार्मिक महत्व क्या है और इसे इतना पवित्र क्यों माना जाता है.
हिंदू धर्म में मांग में सिंदूर लगाना विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है और इसका धार्मिक तथा सांस्कृतिक महत्व है. सिंदूर केवल एक सौंदर्य का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई गहरे अर्थ और मान्यताएँ भी निहित हैं.
हिंदू धर्म में क्या है सिंदूर का महत्व?
रामायण काल में सिंदूर का उल्लेख किया गया था. यह माना जाता है कि माता सीता इसे अपने शृंगार के लिए प्रतिदिन उपयोग करती थीं. एक कथा के अनुसार, जब हनुमान जी ने मां सीता को सिंदूर लगाते देखा, तो जिज्ञासा में उनसे पूछा कि वह हर दिन सिंदूर क्यों लगाती हैं. जानकी जी ने उत्तर दिया कि वह भगवान श्री राम की लंबी उम्र के लिए इसे मांग में भरती हैं, जिससे भगवान श्री राम प्रसन्न होते हैं. तब हनुमान जी, जो श्री राम के अनन्य भक्त हैं, ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप लगा लिया. इसीलिए आज भी हनुमान जी की पूजा में सिंदूर का उपयोग किया जाता है. ऐसा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
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कब लगाना चाहिए सिंदूर
सुहागिन महिलाओं को पूजा के समय मांग में सिंदूर लगाना अनिवार्य माना जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार, महिलाओं को रविवार, सोमवार और शुक्रवार को बाल धोकर सिंदूर अवश्य लगाना चाहिए. पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं करवा चौथ, वट सावित्री पूजा और तीज जैसे विभिन्न व्रत करती हैं. इन व्रतों के दौरान सिंदूर का लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है. ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं.
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किस देवी से है सिंदूर का नाता?
हिन्दू धर्म में सिंदूर को मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है. विवाह के अवसर पर पति द्वारा पत्नी की मांग में पहली बार सिंदूर भरा जाता है, जो उसके प्रति समर्पण को दर्शाता है. यह मान्यता है कि माता पार्वती ने सबसे पहले भगवान शिव से विवाह के समय अपनी मांग में सिंदूर लगाया था.
दांपत्य जीवन में क्या है सिंदूर का महत्व?
शास्त्रों के अनुसार, जिन विवाहित महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर लगाया जाता है, उन्हें पति की आकस्मिक मृत्यु का भय नहीं होता है. इसके अलावा, पूरे परिवार को संकटों से मुक्ति मिल जाती है. नवरात्रि और दीपावली के दौरान मां दुर्गा और माता लक्ष्मी की पूजा में भी 16 शृंगार में सिंदूर का महत्व अत्यधिक होता है. शास्त्रों के अनुसार, सिंदूर का उपयोग करने से माता सती और मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि आती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिंदूर लगाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी मौजूद हैं?
