Navratri 2025: समृद्धि और सौभाग्य लाएंगी गजवाहिनी मां जगदम्बा
Navratri 2025: दुर्लभ संयोग में गजवाहिनी मां जगदम्बा का आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है. हाथी पर सवार मां शक्ति, वैभव और स्थिरता का प्रतीक हैं. मान्यता है कि इस दिन मां की पूजा और व्रत करने से जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और मानसिक शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
नवपंचम राजयोग का शुभ प्रभाव कई राशि के जातकों पर मां दुर्गा, मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्रदान कराएगा
Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि को गजकेसरी राजयोग के बेहद दुर्लभ योग में मां जगदम्बा गज वाहन पर सवार होकर आएंगी. उनका आगमन भक्त की हर मनोकामना पूरी करने के साथ ही सुख-समृद्धि सौभाग्य में वृद्धि करेगा. नवरात्रि में मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना शुभ लक्षण का प्रतीक है। गजारूढ़ मां अंबिका की कृपा से प्रचुर वर्षा के साथ ही सुख, समृद्धि व खुशहाली छा जाती है. इसका स्पष्ट अर्थ ये है कि पूरे साल सुख-समृद्धि, सौभाग्य का संचार होगा और अच्छी बारिश के कारण खेत-खलिहान अनाज से भरे रहेंगे. झूसी स्थित स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के आचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि पहले दिन शुक्ल योग, बुध-सूर्य की युति से बुधादित्य योग, त्रिग्रही योग, मंगल-शुक्र की युति से धनशक्ति राजयोग बनेगा. इस नवरात्रि में कई शुभ राजयोगों का निर्माण भी हो रहा है जिनमें नवपंचम राजयोग भी है. इसके फलस्वरूप कई राशियों जैसे मकर, धनु, कन्या राशि के जातकों पर मां दुर्गा के साथ ही मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी. इसके अलावा पूरे नवरात्रि के दौरान द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और और सूर्य ग्रह की अनुकूलता बनी रहेगी.
9 नहीं, 10 दिन के होंगे नवरात्र
हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की नौ तिथियों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है. आचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार इस नवरात्रि में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 22 सितंबर को रात 01 बजकर 23 मिनट पर हो रही है जो 23 सितंबर को रात 02 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगे और इसी दिन कलश स्थापना की जाएगी। वेदाचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने कहा कि इस बार नवरात्र तिथि में चतुर्थी तिथि बढ़ रही है। इस साल श्राद्ध पक्ष में एक तिथि का क्षय और नवरात्र में एक तिथि में वृद्धि हो रही है, इसलिए इस साल 9 दिन नहीं 10 दिन के नवरात्र होंगे.
कलश स्थापना के लिए बन रहा शुभ संयोग
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना तिथि पर शुक्ल और ब्रह्म योग समेत कई शुभ संयोग बन रहे हैं। आचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि कलश स्थापना 22 सितम्बर, 2025 दिन सोमवार को सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक की जा सकती है. इसके अलावा अगर दोपहर में घटस्थापना कर रहे हैं, तो अभिजित मुहूर्त 11:49 बजे से 12:38 बजे तक रहेगा. यह समय उपयुक्त माना गया है और इस समय कलश स्थापन किया जा सकता है.
शारदीय नवरात्र 2025 तिथि
- 22 सितंबर 2025 – प्रतिपदा – मां शैलपुत्री की पूजा
- 23 सितंबर 2025 – द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- 24 सितंबर 2025 – तृतीया – मां चंद्रघंटा की पूजा
- 25 सितंबर 2025 – चतुर्थी – मां कूष्मांडा की पूजा
- 26 सितंबर 2025 – चतुर्थी – —-
- 27 सितंबर 2025 – पंचमी – मां स्कंदमाता की पूजा
- 28 सितंबर 2025 – षष्ठी – मां कात्यायनी की पूजा
- 29 सितंबर 2025 – सप्तमी – मां कालरात्रि की पूजा
- 30 सितंबर 2025 – अष्टमी – मां महागौरी की पूजा
- 01 अक्टूबर 2025 – महानवमी – मां सिद्धिदात्री की पूजा
- 02 अक्टूबर 2025 – व्रतपारण – विजयदशमी (दशहरा)
मां दुर्गा का आगमन गज वाहन पर होगा
शशिसूर्ये गजारूढ़ा, शनिभौमे तुरंगमे।
गुरुशुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता।।
फलम् – गजे च जलदा देवी, छत्रभङ्ग तुरंगमे।
नौकायां सर्व सिद्धिस्यात् दोलायां मरणं धुव्रम् ।।
श्रीमद्देवी भागवत महापुराण के अनुसार, मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान किस वाहन के साथ करेंगी, इसका निर्धारण सप्ताह के दिन के हिसाब से होता है. इस बार नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर सोमवार से हो रहा है. अतः यदि नवरात्रि की प्रतिपदा सोमवार या रविवार को हो तो मां दुर्गा गज (हाथी) पर आरूढ़ होती हैं. अगर नवरात्रि शनिवार या मंगलवार को पड़े, तो माता घोड़े पर सवार मानी जाती हैं। यदि प्रतिपदा गुरुवार या शुक्रवार को हो, तो माता डोली (पालकी) पर आती हैं और यदि यह दिन बुधवार को हो, तो माता दुर्गा नौका (कश्ती) पर आरूढ़ होती हैं. हाथी की सवारी को अत्यंत शुभ और मंगलकारी मानी जाती है. इसे समृद्धि, उन्नति और शांति का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस बार नवरात्रि में पूजन विशेष फल देने वाला होगा.
नरवाहन पर होगा मां दुर्गा का प्रस्थान
शशिसूर्यदिने यदि सा विजया, महिषा गमनेरूज शोककरा,
शनिभौमे यदि सा विजया चरणायुधयानकरी विकला,
बुधशुक्रे यदि सा विजया गजवाहनगा शुभवृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहनगा शुभसौख्यकरा ।।
शारदीय नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर गुरुवार विजयदशमी के दिन होगा। जब भी मां गौरी का प्रस्थान गुरुवार के दिन होता है तो मां दुर्गा मनुष्य की सवारी(डोली)पर प्रस्थान करती हैं, जिसे बेहद शुभ संकेत माना जाता है. माता के आशीर्वाद से लोगों में आपसी प्रेम बढ़ेगा और सुख-शांति बनी रहेगी.
