Matrika, The Mother Sacred: मिथिला में नारी शक्ति और मातृत्व को समर्पित अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन
Matrika, The Mother Sacred: अंतरराष्ट्रीय मिथिला कला प्रदर्शनी 2–8 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली में आयोजित. यह प्रदर्शनी नारी शक्ति, मातृत्व और आध्यात्मिकता का उत्सव है. मातृत्व की विविध भावनाओं और मिथिला की प्राचीन कला को भक्ति और सौंदर्यपूर्ण दृष्टि से दर्शाया गया है.
Matrika,Matrika, The Mother Sacred: भारतभर में शक्ति की आराधना के पर्व विजयादशमी के शुभ अवसर पर, नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के संवेत ऑडिटोरियम में 2 अक्टूबर 2025 को अंतरराष्ट्रीय मिथिला कला प्रदर्शनी “मातृका: द मदर सेक्रेड” का उद्घाटन किया गया. यह प्रदर्शनी मिथिला की प्राचीन, सशक्त और आध्यात्मिक कला को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने का एक अनूठा प्रयास है. उद्घाटन अवसर पर डॉक्टर सविता झा ने बताया कि यह प्रदर्शनी आदि-शक्ति स्वरूपा मां और भारतीय परंपराओं में मां के विविध रूपों को समर्पित है.
प्रदर्शनी का उद्देश्य और विषय
डॉ. झा के अनुसार, “मातृका” मातृत्व की जटिलताओं, समर्पण, करुणा और दया का मोहक मिश्रण है. यह केवल कला का प्रदर्शन नहीं, बल्कि आत्म-अन्वेषण और पवित्र साधना का अनुभव है, जो मां की दिव्यता और मातृत्व की रोजमर्रा की सच्चाइयों को दर्शाता है. यहां मां केंद्र में हैं—कभी रानी, कभी ममता की मूर्ति, कभी अजेय शक्ति और कभी अभिशप्त रूप. प्रदर्शनी दर्शकों को नारी शक्ति, मातृत्व की विविध भावनाओं और मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर से गहरे जुड़ाव का अनुभव कराती है.
अवधि और सांस्कृतिक महत्व
विजयादशमी, 2 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 8 अक्टूबर 2025 तक चलने वाली यह सात दिवसीय प्रदर्शनी न केवल कला, बल्कि ज्ञान और आस्था की साधना का भी प्रतीक है. यह मातृका की कृपा, शक्ति और करुणा के उत्सव को दर्शाती है और भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं में मां के अनेक रूपों को मिथिला चित्रकला के माध्यम से जीवंत करती है.
आध्यात्मिक यात्रा और विरासत
“मातृका” एक भक्ति और मातृत्व की आध्यात्मिक यात्रा है. यह प्रदर्शनी नारी शक्ति का उत्सव है, जो युगों से सम्मान और श्रद्धा की प्रतीक रही है. मिथिला की विशिष्ट चित्रकला के माध्यम से मां के विभिन्न रूपों को दर्शाकर यह प्रदर्शनी गौरवपूर्ण सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास है.
